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Sirmaur की प्रमुख नकदी फसल लहसुन पककर तैयार, 100 से 150 रुपये प्रतिकिलो तक मिल रहे है किसानों को दाम

By Sandhya Kashyap

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Sirmaur का लहसुन देश की विभिन्न मंडियो मे पंहुचना हुआ आरंभ  Sirmaur जिले की प्रमुख नकदी फसल लहसुन ने देश की विभिन्न मंडियो  दस्तक दे दी है। देश भर में अपनी अलग पहचान के लिए मशहूर सिरमौरी लहसुन इन दिनो 100 से 150  रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। ...

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Sirmaur का लहसुन देश की विभिन्न मंडियो मे पंहुचना हुआ आरंभ 

Sirmaur जिले की प्रमुख नकदी फसल लहसुन ने देश की विभिन्न मंडियो  दस्तक दे दी है। देश भर में अपनी अलग पहचान के लिए मशहूर सिरमौरी लहसुन इन दिनो 100 से 150  रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। लहसुन का रेट प्रतिदिन अलग-अलग मंडियों में अलग-अलग रहता है । मगर उसके बावजूद भी किसानों के लिए अब लहसुन की फसल घाटे का सौदा साबित हो रही है। अभी तो सीजन आरंभ हुआ अगर आने वाले समय में लहसुन के दामों में गिरावट आती है तो किसानों को हानि का सामना भी करना पड़ता है । 

Sirmaur की प्रमुख नकदी फसल लहसुन पककर तैयार, 100 से 150 रुपये प्रतिकिलो तक मिल रहे है किसानों को दाम

इस समय Sirmaur जिले की यह प्रमुख नकदी फसल लगभग पक कर  तैयार है। कई जगह किसानों ने खेतों से लहसुन की फसल को निकालना आरंभ कर दिया है ।सिरमौर जिले के राजगढ़ , पच्छाद, शिलाई , रेणुका क्षेत्रों में उगाए जाने वाले हाइब्रिड लहसुन की दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा मांग है। तमिलनाडु के बडगा पट्टी और कोच्ची जैसी बड़ी मंडियों में यह काफी मात्रा में बिकता है। वहीं नेपाल और थाइलैंड को भी प्रदेश का लहसुन निर्यात होता है। इसका मुख्य कारण यहां का लहसुन औषधीय गुणों से भरपूर होता है और स्वाद में भी बाकी क्षेत्रो से अच्छा बताया जाता है । 

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खेत से निकालने के बाद लहसुन को अच्छी तरह से सुखाया जाता है और फिर इसे अलग-अलग श्रेणी में ग्रेड किया जाता है । लहसुन की ग्रेडिंग हाथों के साथ अब मशीनों से भी हो रही है। ग्रेडिंग में ट्रिपल ए को सुपर लहसुन का नाम दिया गया है जबकि इससे नीचे की ग्रेडिंग में ए वन यानी डबल ए, फिर मीडियम और गोली सबसे निचले स्तर का लहसुन है।

यह काबिले जिक्र है कि सबसे अधिक लहसुन सोलन सब्जी मंडी में ही पहुंचता है और राजगढ़ सब्जी मंडी में भी लहसुन आता है । मगर पिछले कुछ समय से लहसुन के खरीदार सीधे किसानों से संपर्क करके घरों से ही लहसुन खरीद लेते हैं । मगर सभी किसान ऐसा नहीं करते और अपनी मन पसंद की मंडी में लहसुन बिक्री के लिए ले जाते हैं । यहां लहसुन की फसल पैदा करना अब महंगा सौदा साबित हो रहा है क्योंकि अच्छे दाम मिलने बाद भी किसानों को लहसुन की फसल से पहले जैसा लाभ नहीं मिल पा रहा । 

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पिछले साल यहां लहसुन के बीज का रेट 120 से लेकर 150 रुपये प्रति किलो तक था और उसके बाद बिजाई , खाद, दवाइयां, निराई गुड़ाई और पैकिंग के साथ-साथ मंडी तक पहुंचाने का खर्च आदि शामिल हैं। यानि लगभग एक किलो लहसुन को उगाने में 60 से 80  रुपये तक खर्च आ जाता है । 

प्रगतिशील बागवान रविदत भारद्वाज के अनुसार उन्होंने इस साल लगभग 14 क्विंटल बीज लगभग छह बीघा भूमि पर लगाया था और पिछले लगभग सात दिनों से वह लहसुन की खुदाई में लगे हैं । इसके लिए उन्होंने लगभग 10 से 12 लोगों को काम पर लगा रखा है और अभी तक बीज, दवाईयों, लेबर आदि पर तीन लाख रुपये खर्च कर चुके हैं । अभी लगभग एक महीने का समय इसके भंडारण पैकिंग आदि पर लगेगा । लगभग एक लाख रुपये अभी इसको मंड़ी तक पहुंचने में लगेंगे । ऐसे में लहसुन की फसल अब बहुत महंगा सौदा हो गई है । 

आम किसान अब लहसुन का उत्पादन इतना आसानी से नहीं कर सकता । यहां एक किलो लहसुन में औसतन 6 से 8 किलो लहसुन का उत्पादन हो सकता है। कृषि विज्ञान के उप निदेशक डॉक्टर राजेंद्र ठाकुर के अनुसार कृषि विभाग द्वारा एक जिला एक फसल के तहत सिरमौर जिले को लहसुन की फसल को चुना गया है और इस समय Sirmaur में लगभग 4,000 हेक्टेयर भूमि में लहसुन की पैदावार हो रही है। यह प्रदेश में सबसे ज्यादा है और लगभग 60,735 मीट्रिक टन उत्पादन का उत्पादन होता है। 

ठाकुर ने बताया कि अभी किसानों को लहसुन के अच्छे दाम मिल रहे हैं। लगभग पूरे Sirmaur में लहसुन का उत्पादन होता है। ये जिले की प्रमुख नकदी फसल है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे पूरा पका हुआ व अच्छी तरह सुखाकर ही लहसुन मंडियों में भेजे ताकि उनको इसके उचित दाम मिल सके ।