Sirmaur : हरिपुरधार “माँ भंगायणी मेला” का शुभारंभ करेंगे उपायुक्त सिरमौर
नाहन : Sirmaur जिला के हरिपुरधार में माँ भंगायणी मेला हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। 3 से 5 मई तक चलने वाले मेले का शुभारंभ उपायुक्त सिरमौर करेंगे जबकि समापन समारोह में प्रदेश मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार के साथ बतौर मुख्यातिथि शिरकत करके मेले की शोभा बढ़ाएंगे। मेले के दौरान जहां खेलकूद प्रतियोगिताएं करवाई जाएगी। वहीं उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश के दर्जन से अधिक लोकगायक अपनी सुरीली आवाज का लोहा मेले के दौरान मनवाएंगे और मेले में पहुंचे दर्शकों और श्रद्धालुओं का मनोरंजन करेंगे।
वॉलीबॉल, कबड्डी के साथ सांस्कृतिक संध्या मां भंगायनी मेले के आकर्षण
मां भंगायणी मेला कमेटी के अनुसार वॉलीबॉल और कबड्डी प्रतियोगिताएं मेले के दौरान आयोजित करवाई जाती है। खेल प्रतियोगिताओं में हिमाचल के अतिरिक्त बाहरी राज्यों से युवा खिलाड़ियों को आमंत्रित किया गया है। जिसमे दर्जनों खेल प्रेमियों की टीमें यहां जोहर दिखाएगी। जबकि सांस्कृतिक संध्या में प्रदेश के एक दर्जन से ज्यादा लोक गायक अपनी प्रस्तुति देकर मनोरंजन करेंगे।
मां भंगायणी मेले में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के यह लोकगायक रहेंगे आकर्षण का केंद्र
मां भंगायणी मेला कमेटी के अनुसार उत्तराखंड प्रदेश के मशहूर लोकगायक अजु तोमर की टीम के साथ हिमाचली लोक गायकों में गीता भारद्वाज, सुमन सोनी, रोहिणी डोगरा, रीना ठाकुर, बिमला चौहान, दिनेश शर्मा, दीपक चौहान, कपिल शर्मा, अनूप छागटा, विनोद रांटा, रविन्द्र वर्मा, धर्मपाल ठाकुर, हुक्म राम शर्मा सहित स्थानीय लोक कलाकार ममता डांसिंग ग्रुप और हेमंत बैंड आर्केस्ट्रा शिमला के साथ लोगों का मनोरंजन करेंगे।
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मां भंगायणी देवी की प्रदेश ही नहीं देश में है धार्मिक आस्था
हिमाचल प्रदेश के जिला Sirmaur का जिला मुख्यालय नाहन से लगभग 100 किमी. दूर हरिपुरधार कस्बा बसा है। जहां तत्कालीन सिरमौर रियासत काल के महाराजा हरि प्रकाश द्वारा हरिपुर किले का निर्माण करवाया गया। कस्बे से लगभग 2 किमी. की दूरी पर दुख हरने वाली मां भंगायनी साक्षात रूप में विराजमान है। मान्यताओं अनुसार शक्ति स्वरूपा का मात्र नाम लेने से ही यहां भक्तों को मनवांछित फल प्रदान हो जाता है।
जनश्रुति है कि माता हमेशा सत्य का साथ देती है तथा असत्य व दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति को कठोर दंड देती है। इसलिए मां भंगायणी देवी की न्यायप्रियता से दुष्ट प्रवृत्ति के खौफ खाते हैं। मां भंगायणी देवी, धारों वाली माता के नाम से है विख्यात, हिमाचल ही नहीं बल्कि समूचे भारत से यहां पहुंचते है। श्रद्धालु समुद्रतल से लगभग 8000 फुट ऊंची चोटी पर स्थित होने के कारण इसे धारों वाली माता के नाम से भी जाना जाता है। सर्दियों में यहां खूब बर्फ पड़ती है।
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Sirmaur, सोलन व शिमला जिलों में देवी की अटूट मान्यता है। देवी के यहां प्रकट होने के विषय में जनश्रुतियां प्रचलित हैं। जनश्रुति के अनुसार सुप्रसिद्ध मंदिर का पौराणिक इतिहास क्षेत्र के आराध्य देव शिरगुल महाराज से जुड़ा हुआ है। शिरगुल देव की वीरगाथा के अनुसार जब वह कालांतर में सैकड़ों हाटियों के दल के साथ दिल्ली शहर गए थे, तो उनकी दिव्य शक्ति की लीला के प्रदर्शन से दिल्लीवासी स्तब्ध रह गए थे। जब तत्कालीन तुर्की शासक को शिरगुल महादेव की अलौकिक शक्ति का पता चला, तो उन्होंने शिरगुल महादेव को गाय के कच्चे चमड़े की बेड़ियों में बांधकर कारावास में डाल दिया था। चमड़े के स्पर्श से शिरगुल देव की शक्ति क्षीण हो गई थी।
ऐसे में कारावास से मुक्ति दिलाने हेतु सहायतार्थ आए बागड़ देश के राजा गोगापीर ने तुर्की शासक के कारावास में सफाई का कार्य करने वाली माता भंगायणी की मदद से शिरगुल महादेव को कारावास से मुक्त करवाया था। तब शिरगुल महादेव व राजा गोगापीर माता भंगायणी को अपनी धर्म बहन बनाकर अपने साथ ले आए तथा हरिपुरधार में एक टीले पर उन्हें स्थान देकर सर्वशक्तिमान होने का वरदान दिया। तभी से यह मंदिर उत्तरी भारत में सिद्धपीठ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
इस सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल पर पहुंचकर श्रद्धालुगण जहां एक और मां भंगायणी की असीम कृपा दृष्टि व आशीर्वाद प्राप्त करते हंै, तो वहीं यहां के प्राकृतिक सौंदर्य एवं चूड़धार की हिमाच्छादित चोटियों को निहारने का सुअवसर भी प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त मंदिर के उत्तर व पूर्व दिशा की और हिमालय पर्वत की बर्फ की सफेद चादर ओढ़े ऊंची चोटियां मन को ठंडक का एहसास दिलाती हंै, जिससे लगता है कि प्रकृति ने इस स्थल पर सौंदर्य का अनमोल खजाना बिखेर कर स्वर्ग बनाया है।
भंगायणी माता का यह मंदिर जहां क्षेत्रवासियों की आस्था का केंद्र है, वहीं यहां का शांत वातावरण श्रद्धालुओं को तनावपूर्ण जिंदगी से दूर हट कर शांति प्रदान करता है।
पर्यटन दृष्टि से विकसित होता हरिपुरधार क्षेत्र
हरिपुरधार Sirmaur में एक छोटा सा शहर है । यह समुद्रतल से 2500 मीटर की ऊंचाई पर एक ऊंची चोटी पर स्थित है । यहां का मौसम बड़ा सुहावना है। जहां पर तापमान की बात की जाएं तो मई और जून के महीनों में भी यहां तापमान 0 से 5°C तक पहुँच जाता है। सर्दियों में यहां बर्फबारी का नजारा देखने को मिलता है। मंदिर परिसर में बुनियादी सुविधाओं से युक्त लगभग 30 कमरे हैं।
हरिपुरधार की वादियां पर्यटकों को खूब लुभाती हैं। सिरमौर जिला के हरिपुरधार की वादियां देश भर के पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं। शिमला, कुल्लू- मनाली और धर्मशाला में भीड़भाड़ और लगातार यातायात जाम के चलते अब उत्तर भारत के पर्यटकों ने सिरमौर की हरिपुरधार की हसीन वादियों का रुख कर रहे हैं।
Sirmaur जिला के हरिपुरधार के निकट बड़याल्टा में कमर्शियल पैराग्लाइडिंग भी शुरु हो गई है। जिसके चलते भी पर्यटकों की आमद बढ़ने की संभावना बढ़ गई है। गौर हो कि पिछले दिनों वायु सेना से सेवानिवृत्त वाइस एयर मार्शल वायु सेना मेडल और शौर्य चक्र विजेता के के सांगर ने पैराग्लाइडिंग का उद्घाटन किया था। जिसके बाद अब यहां देश के अन्य राज्यों से भी पैराग्लाइडिंग के शौकीन और पर्यटक पहुंचने लगे हैं।