राजस्थान: विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने वोटिंग में पुरुषों को पीछे छोड़ दिया हैं। 199 विधानसभा सीटों पर 74.62 फीसदी वोटर्स ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया हैं। महिलाओं का वोटिंग 74.72 प्रतिशत और पुरुषों का 74.53 फीसदी रहा। 23 सीटों में महिलाओं ने बंपर वोटिंग की। अब तक हुई वोटिंग में यह एक नया रिकार्ड है। 2018 में 74.71% वोटिंग हुई थी। उस समय पुरुषों का मतदान 73.80 प्रतिशत और महिलाओं का 74.67 रहा था।
2003, 2013 और 2018 में महिलाओं का मतदान अधिक रहा। नतीजे चौंकाने वाले रहे थे। 2008 में महिलाओं का वोट मामूली बढ़ा लेकिन ओवरऑल मतदान का प्रतिशत कम रहा। ऐसे में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। बीजेपी को 78 और कांग्रेस को 96 सीटें मिली।
विधानसभा चुनावों में महिला मतदाताओं का ट्रेंड देखें तो भागीदारी लगातार बढ़ रही है। 2018 में 189 महिला प्रत्याशी मैदान में थीं। इनमें से 24 यानी 12.6% प्रत्याशी चुनी गईं। पुरुषों का सफलता प्रतिशत 8.44% रहा। 2013 में महिला प्रत्याशियों का सफलता प्रतिशत 16.86% था। कांग्रेस ने 28 और बीजेपी ने 20 महिला प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं। बीजेपी ने 10 और कांग्रेस ने 14 प्रतिशत महिलाओं को ही टिकट दिए हैं।
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को ध्यान में रखते हुए उनके लिए विशेष योजनाएं लागू की। चुनाव से पहले गृह लक्ष्मी गारंटी योजना के तहत हर परिवार की महिला मुखिया को हर साल 10 हजार रुपए देने की घोषणा की। 1.05 करोड़ परिवारों को 400 रुपए में गैस सिलेंडर, रोडवेज बसों में मुफ्त सफर जैसे वादे किए।
बीजेपी महिला आरक्षण बिल के साथ ही केंद्र सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, उज्जवला योजना और महिला शक्ति केंद्र योजना के जरिए महिला मतदाताओं को लुभाती नजर आई।