डेस्क: जोहान्सबर्ग में आज से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के संगठन ब्रिक्स का आगाज हो रहा है। भारत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मेलन के लिए रवाना हो चुके हैं। इस बार यह 15वां ब्रिक्स सम्मेलन है। साल 2019 के बाद पहला मौका है जब इस तरह से इसका आयोजन हो रहा है। कोविड-19 महामारी के चलते इस सम्मेलन को वर्चुअली आयोजित किया जा रहा था। सम्मेलन में इस बार संगठन के विस्तार से लेकर ब्रिक्स देशों की एक समान मुद्रा समेत कई मुद्दे अहम हैं लेकिन सबसे ज्यादा सुगबुगाहट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की संभावित मीटिंग को लेकर है।
जिनपिंग और मोदी की मुलाकात
भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा की तरफ से पीएम मोदी और जिनपिंग की मुलाकात को लेकर कई अहम बातें कही गई हैं। क्वात्रा की तरफ से बताया गया है कि पीएम मोदी का शेड्यूल अभी तय किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत एक खुले दिमाग और सकारात्मक सोच के साथ ब्रिक्स विस्तार के बारे में सोचता है। अगर ब्रिक्स में दोनों नेताओं की मुलाकात होती है तो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी टकराव के बीच यह पहली मीटिंग होगी। पिछले साल इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने जी-20 सम्मेलन के दौरान जब सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों के लिए डिनर आयोजित किया था तो दोनों नेताओं की एक छोटी सी मुलाकात बाली में हुई थी।
कई दशकों से खराब संबंध
पिछले महीने, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की मीटिंग में पहुंचे थे। इस मीटिंग से अलग उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी। डोभाल ने स्पष्ट कर दिया था कि स्थिति को पूरी तरह से सुलझाने के लिए और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए निरंतर प्रयासों को आगे बढ़ाना होगा। जून 2020 में गलवान घाटी हिंसा के बाद से ही भारत-चीन के संबंध खराब हो गए है। गलवान हिंसा कई दशकों में दोनों देशों की सेनाओं के बीच सबसे हिंसक संघर्ष था। भारत कहता रहा है कि चीन के साथ संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते जब तक कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी।
पीएम मोदी ने किया ट्वीट
जोहान्सबर्ग रवाना होते समय पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘यह सम्मेलन ग्लोबल साउथ से जुड़ी चिंताओं और विकास के अन्य क्षेत्रों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।’ भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में पिछले तीन साल से आमने-सामने हैं। कई क्षेत्रों में जहां डिसइंगेजमेंट हो चुका है तो वहीं कुछ हिस्सों पर चीनी सेना अभी तक अड़ी हुई है। राजनयिक और सैन्य वार्ता के जरिए इसका समाधान तलाशने की कोशिशें की जा रही हैं।