हल्द्वानी हिंसा का मास्टर माइंड अब्दुल मलिक अब तक गिरफ्तार नहीं हो पाया है। उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया है। लेकिन ऐसा नहीं है कि अब्दुल मलिक पर पहली बार हिंसा भड़काने के आरोप लगे हों इस से पहले भी 1998 में उस पर हल्द्वानी में ही हिंसा भड़काने के आरोप लगे थे। इसके साथ ही अब्दुल मलिक पर हत्या के आरोप भी हैं।
अब्दुल मलिक हत्या के आरोप में हुआ था नामजद
अब्दुल मलिक पहले से ही विवादो में रहा है। हल्द्वानी हिंसा से पहले भी उस पर कई आरोप लगे हैं। साल 1998 में मलिक पर हत्या के आरोप लगे थे। 19 मार्च 1998 में हल्द्वानी के रहने वाले अब्दुल रऊफ सिद्दीकी की बरेली के भोजीपुरा में हत्या हो गई थी। तब इस मामले में पुलिस ने अब्दुल मलिक को नामजद किया था।
अब्दुल मलिक के खिलाफ भोजीपुरा में मुकदमा भी दर्ज किया गया था। लेकिन अपने रसूख के चलते मलिक ने इस मामले में सीबी सीआईडी जांच करवा दी। जिसके बाद वो बेफ्रिक हो गया कि अब पुलिस उसे कुछ नहीं कह पाएगी। क्योंकि पुलिस पहले अरेस्ट करती है फिर जांच करती है जबकि सीबी सीआईडी पहले जांच करती है और फिर अरेस्ट करती है।
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1998 में भी अब्दुल मलिक के कारण हल्द्वानी में भड़की थी हिंसा
अब्दुल मलिक सीबी सीआईडी जांच के बाद बेफ्रिक हो गया लेकिन पुलिस की नजरें उसी पर थी। पुलिस ने उस पर लगा पुराना मारपीट का एक और मामला खोल दिया। इस मामले में पुलिस ने मलिक से पूछताछ की। जिसके बाद पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए हल्द्वानी पहुंची। पुलिस जब बनभूलपुरा पहुंची और मलिक को गिरफ्तार किया तो 1998 में तब भी आठ फरवरी 2024 जैसी ही हिंसा भड़क उठी।
पुलिस पर पथराव किया गया और जगह-जगह आगजनी की गई। तब भी पूरे शहर में खूब तोड़फोड़ की गई। इस हिंसा में भी दर्जनों लोग घायल हो गए थे। तत्कालीन एसपी सिटी पुष्कर सिंह शैला भी पथराव और आगजनी में घायल हो गए थे। जबकि कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। 1998 में भी इस बवाल के बाद कई दिनों तक हल्द्वानी बाजार बंद रहा। जिसके बाद पुलिस ने मलिक पर बलवे सहित कई संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। लेकिन अब्दुल मलिक के राजनीतिक रसूख के कारण ये मामला दबा ही रह गया।