हनोई: भारतीय सेनाओं की जान बन चुकी ब्रह्मोस मिसाइल पर एक और देश का दिल आ गया है। सूत्रों की मानें तो भारत की तरफ से वियतनाम को एडवांस्ड ब्रह्मोस मिसाइल बेचने की तैयारियां की जा रही हैं। इस डील के बाद वियतनाम के साथ रक्षा संबंध इस डील के बाद और गहरे हो सकते हैं। 19 जून को वियतनाम के रक्षा मंत्री फान वान गियांग भारत दौरे पर आ रहे हैं।
बताया जा रहा है कि उसी समय इस मिसाइल की डील को अंजाम दिया जा सकता है। उनकी यह यात्रा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने और अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के एक मौके के तौर पर भी है। ब्रह्मोस मिसाइल को इसकी सुपरसोनिक स्पीड और सटीक निशाने के लिए जाना जाता है। यह मिसाइल दुनिया में सबसे एडवांस्ड एंटी-शिप और लैंड-अटैक मिसाइलों में शामिल हैं।
सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि वियतनाम की तरफ से भारत को ब्रह्मोस मिसाइल की तीन से पांच यूनिट्स के लिए ऑर्डर मिल सकते हैं। हर यूनिट बैटरी के साथ वियतनाम को मिलेंगी और इसमें कई मिसाइलें भी शामिल हैं। इसकी कीमत करीब 125 मिलियन डॉलर होने का अनुमान है। संभावित डील की लागत 375 मिलियन डॉलर से 625 मिलियन डॉलर होने का अनुमान है। हालांकि यह इस बात पर भी निर्भर है कि आखिर वियतनाम को कितनी यूनिट्स चाहिए।
वियतनाम से पहले फिलीपींस को यह मिसाइल दी गई हैं। पिछले साल भारत ने फिलीपींस को 375 मिलियन डॉलर के साथ यह मिसाइल सौंपी थी। इस मिसाइल की तीन यूनिट्स फिलीपींस को मिली थीं। वियतनाम के अलावा इंडोनेशिया ने भी ब्रह्मोस मिसाइलों को खरीदने में रूचि दिखाई है। इन देशों की मांग यह बताने के लिए काफी है कि किस तेजी से भारत और रूस के सहयोग से विकसित यह मिसाइल अपना रूतबा बढ़ाती जा रही है। ऐसे देश जो अपनी रक्षा क्षमताओं में इजाफा करना चाहते हैं, वो ब्रह्मोस मिसाइलों की मांग कर रहे हैं।
ब्रह्मोस मिसाइल की मांग यह बताने के लिए भी काफी है कि भारत का कद रक्षा उपकरणों के एक प्रमुख निर्यातक देश के तौर पर बढ़ता जा रहा है। वियतनाम को ब्रह्मोस मिसाइलों की बिक्री से दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को गहरा करने में भी मदद मिल सकती है। यह संभावित सौदा दक्षिण पूर्व एशिया में एक मजबूत रक्षा नेटवर्क में भी योगदान कर सकता है।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस ज्वॉइन्ट वेंचर की तरफ से इस मिसाइल को तैयार किया गया है। ब्रह्मोस मिसाइल एक शॉर्ट रेंज वाली रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे एयरक्राफ्ट, जहाज और जमीन के साथ ही पनडुब्बी से भी लॉन्च किया जा सकता है। इस मिसाइल की स्पीड 2.8 मैक यानी 3 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा है। 300 मिलियन डॉलर की लागत से तैयार इस मिसाइल की खरीद के लिए मलेशिया ने भी हाथ बढ़ाया है। इसकी रेंज 290 किलोमीटर से 350 किलोमीटर तक है।