विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खोल दी गई है। पहले दिन 40 पर्यटकों ने फूलों की घाटी के दीदार किए। समुद्रतल से लगभग 13000 फीट पर स्थित विश्व धरोहर वैली ऑफ फ्लावर के नाम से भी जाना जाता है।
वन विभाग के अधिकारियों की देखरेख में एक जून को फूलों की घाटी को जाने वाले रास्ता पर लगा गेट खोला गया। इसके बाद पर्यटकों को अंदर जाने की इजाजत दी गई। फूलों की घाटी देखने के लिए पर्यटकों में खासा उत्साह दिखाई दिया। इस बार फूलों की घाटी के आसपास खासी बर्फ जमी हुई है। हालात ये हैं कि पर्यटकों को हिमखंडों के बीच से होते हुए फूलों की घाटी की ओर आगे बढ़ना पड़ रहा है। हालांकि पर्यटकों के लिए ये भी किसी रोमांच के कम नहीं है।
दुर्लभ किस्म के फूल, पौधे
समुद्रतल से लगभग 13000 फीट पर स्थित विश्व धरोहर वैली ऑफ फ्लावर के नाम से भी जाना जाता है। यहां फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। जिसमें बह्रमकमल, जैस्मिन, गोल्डन लिली, ब्लू पॉपी, मैरीगोल्ड सहित कई अन्य फूल हैं। पुष्प प्रेमियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। बिट्रिश पर्वतारोही फ्रेंक स्मिथ इसे दुनिया के सामने लाए।
बद्रीनाथ राजमार्ग पर स्थित
फूलों की घाटी बद्रीनाथ राजमार्ग पर स्थित है। फूलों की घाटी से सबसे करीब का कमर्शियल एअरपोर्ट देहरादून का जॉली ग्रांट एअरपोर्ट है। आप दिल्ली से आसानी से हवाई जहाज के जरिए देहरादून पहुंच सकते हैं। यहां से आपको गोविंदघाट के लिए टैक्सी बुक करनी होगी। देहरादून से गोविंद घाट की दूरी लगभग 300 किमी है।
फूलों की घाटी में प्रवेश के लिए आपको टिकट लेना होगा। भारतीयों के लिए ये टिकट 150 रुपए के आसपास होता है जबकि विदेशियों के लिए ये टिकट अधिक मूल्य का होता है।
अक्टूबर तक कर सकेंगे दीदार
फूलों की घाटी में प्रवेश के बाद आपको लगभग 5 किमी लंबी और दो किमी वैली में जाने का मौका मिलेगा जहां विभिन्न तरह के फूल खिले होते हैं। वैली से होकर पुष्पावती नदी बहती है। हर साल की तरह इस बार भी फूलों की घाटी की सैर अक्टूबर तक हो सकेगी।