दो प्रेमियों की अटूट प्रेम कहानी है “मेरी उर्मिला” उतराखंडी लोकगीत, सदियों पुरानी प्रेम कहानी
अखण्ड भारत/देहरादून :- उतराखंड प्रदेश पारम्परिक परिधान, संस्कृति, भाईचारे व प्रेम कथाओं के लिए देशभर में शुमार है, पहाड़ियों के बीच बसे दो गावों के एक युवक व युवती की प्रेम कहानी जितनी अनूठी है, उससे कहीं अधिक युवाओं के लिए प्रेम संदेश देती है। उर्मिला दूसरे गाव के वीरू से बेहद प्रेम करती है, वीरू भी उर्मिला पर जान छिड़कते है, लेकिन सामाजिक दायरे व दो खुंदो की मरियादाएं दोनों को प्रेम करने की इजाजत नहीं देती है।
बावजूद इसके दोनों एकदुजे का होने के सपने सजोएं, छुपते- छुपाते मिलने की मुमकिन कोशिश हरपल करते रहते है। अटूट प्रेम के दुश्मन प्रेमियों पर कई तरह के जाल बिछाकर भूखे भेड़िए की तरह दोनों का शिकार करने के लिए रातदिन चौराहे व हरमोड़ पर खड़े रहते, इसलिए दो दिलों का एक होना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन भी था।
उर्मिला अपने प्रेमी की राह में आंखे बिछाए राह देखती, तो वीरू जानलेवा पहाड़ियों से होकर तो कहीं जहरीली झाड़ियों के नीचे से अपनी जान की प्रवाह किए बग़ैर उर्मिला से मिलने की राहें तलाशते नजर आते, कड़ी मशक्कत के बाद मिलन होता तो बरसों से प्यार के प्यासे दोनों एक दूसरे पर न्योछावर हो जाते। सभी बन्धनो को तोड़ कर एक दूसरे मे खो जाते, लेकिन प्रभु इच्छा के अनुसार दो प्रेमीयों के एक परिवार का सपना तो अधूरा रह गया, लेकिन क्षेत्र व प्रदेश के लिए संदेश छोड़ गए कि प्यार करने के लिए कोई वंदिशे, कोई दायरे, कोई नियम नहीं होते प्रेम तो प्रेम होता है, जिससे प्रेम हो गया उसके लिए समर्पित हो जाओ।
उर्मिला व वीरू की प्रेम कहानी पर लिखे जोंसारी लोकगीत “मेरी उर्मिला” को मोतियों भरे शब्दों में फिरोया है लेखक दिनेश भट्ट ने और अपनी सुरीली आवाज में गीत को गाया है लोकगायक वीरेंद्र चौहान व लोक गायिका सितारा वर्मा ने, विकास बड़ेरी ने गाने को अपने म्यूजिक से सजाया है, जबकि अभिनय में वीरू की भूमिका निभाई है किशन चौहान ने, जबकि उर्मिला कि भूमिका में ईशा छेत्री ने अपने अभिनय के माध्यम से समूचे क्षेत्र व प्रदेश को दीवाना बनाया है।