देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सुरक्षा में तैनात एक कमांडो की संदिग्ध हालात में एके 47 की गोली लगने से मौत हो गई। कमांडो का शव मुख्यमंत्री आवास के करीब बने बैरक में मिला। पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है।
निकलना था ड्यूटी के लिए
मिली जानकारी के अनुसार मूल रूप उत्तराखंड के पौड़ी के कफोलस्यू पट्टी के अगरोड़ा गांव के रहने वाले प्रमोद कुमार मुख्यमंत्री की सुरक्षा में कमांडो के तौर पर तैनात थे। प्रमोद अपनी पत्नी के साथ विजय पार्क में किराए पर रहते थे। बताया जा रहा है कि गुरुवार की सुबह वो अपनी ड्यूटी से लौटे और बैरक में चले गए। दोपहर दो बजे के करीब सीएम के सुरक्षा दस्ते को कुमाऊं में शुक्रवार को होने वाले कार्यक्रम के लिए निकलना था। सुरक्षा दस्ते के सभी लोग समय से निकलने के लिए तैयार हो गए लेकिन प्रमोद नहीं पहुंचे। ऐसे में उनके साथी उन्हे बुलाने के लिए बैरक में गए तो वहां प्रमोद की लाश देख सन्न रह गए।
राइफल की भी होगी जांच
बताया जा रहा है कि प्रमोद का शव बिस्तर पर पड़ा था और पास ही उनको मिली एके 47 राइफल पड़ी थी। आनन फानन में साथियों ने आला अधिकारियों को सूचना दी। इसके बाद मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वहीं राइफल को भी जांच के लिए कब्जे में ले लिया गया है।
प्रमोद की मौत कैसे हुई इसे लेकर शुरुआती दौर में आत्महत्या की खबरें आईं। जानकारी मिली कि छुट्टी न मिलने से प्रमोद परेशान थे और इसी तनाव में उन्होंने आत्महत्या की। हालांकि बाद में अधिकारियों ने इस बात को सिरे से नकार दिया। अधिकारियों की माने तो प्रमोद की छुट्टी 16 जून से मंजूर हो चुकी थी लिहाजा छुट्टी न मिलने की वजह से तनाव में होने का सवाल नहीं उठता है। अधिकारियों ने कहा है कि सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। अधिकारियों ने दुर्घटनावश गोली चलने की आशंका जताई है।
चार बहनों में अकेले भाई थे प्रमोद
प्रमोद कुमार पौड़ी के रहने वाले थे और चार बहनों में अकेले भाई थे। उनका चार साल का एक बेटा भी है। बताया जा रहा है कि प्रमोद आर्थिक रूप से भी मजबूत थे और परिवार में भी कोई विवाद नहीं था। ऐसे में आत्महत्या की बात गले नहीं उतरती है।पुलिस ने प्रमोद की कॉल डिटेल्स की छानबीन के साथ ही उनके परिजनों से पूछताछ शुरु कर दी है। प्रमोद की मौत की खबर मिलते ही उनके परिवार में कोहराम मच गया। रो रोकर परिजनों का बुरा हाल था।