नाहन : गिरिपार जनजातीय मामले को लेकर सिरमौर जिला में हाटी व गुर्जर समुदाय आमने-सामने है। गिरिपार को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने के फैसले का जहां हाटी समुदाय स्वागत कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ गुर्जर समुदाय इसके विरोध में है।
नाहन में आज पत्रकारों से बातचीत करते हुए गुर्जर समुदाय के प्रतिनिधियों ने बताया कि गुर्जर समुद्र द्वारा यह मांग की जा रही है कि गिरीपार इलाके को जनजातीय क्षेत्र का जो दर्जा दिया गया है। सरकार एक बार फिर से इस पर पुनर्विचार करे। उन्होंने कहा कि मामले को लेकर केंद्र सरकार को गुमराह किया गया है और सही तथ्य सरकार के सामने नहीं रखे गए हैं। साथ ही इनका यह भी कहना है कि इस इलाके को जनजातीय क्षेत्र में शामिल होने के बाद गुर्जर समुदाय को इसका सीधा असर पड़ेगा और जो आरक्षण मौजूदा समय में समुदाय को मिल रहा है। उसमें लाखों लोग एक साथ शामिल हो जाएंगे।
उधर इस मामले में केंद्रीय हाटी समिति के पदाधिकारियों ने गुर्जर समुदाय के विरोध पर हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि जिला में रहने वाले गुर्जर समुदाय को जब जनजातीय क्षेत्र का दर्जा मिला था तो कोई भी विरोध हाटी समुदाय द्वारा नहीं जताया गया था जबकि उस समय भी हाटी समुदाय द्वारा लगातार इलाके को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने की मांग साल 1967 से की जा रही थी। उन्होंने कहा कि गुर्जर समुदाय द्वारा हीन भावना का प्रदर्शन किया जा रहा है जो बेहद निंदनीय है।
गौर हो कि पिछले करीब 55 सालों से गिरिपार इलाका के लोगों की चली आ रही मांग केंद्र की मोदी सरकार ने पूरी की है और भाजपा को उम्मीद है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में इसका लाभ मिलेगा मगर लोकसभा चुनाव से पहले यहां 2 समुदाय आमने-सामने है। भाजपा को अब लोकसभा चुनाव में इसका लाभ मिलता है या नुकसान यह देखने वाली बात होगी।