नेरवा (शिमला) : मिनस- विकासनगर, उत्तराखंड राज्य मार्ग पर आसवी के समीप सड़क दुर्घटना के शिकार हुए चार दोस्तो का उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार हिंदी रीति रिवाज के साथ किया गया है। अंतिम संस्कार के बाद जहां चारों दोस्तो ने मरते दम तक अपनी दोस्ती निभाई वहीं चारो युवा अपने पीछे परिजनों के लिए यादो का समुद्र छोड़ गए है। चारों युवाओं के गांव में शोक का माहौल है। घरों के चिराग बुझने के बाद परिजन भगवान पर टकटकी लगाए बैठे है। माता, पिता, भाई, बहन सहित रिश्तेदार कह रहे है कि भगवान ने किस बात की इतनी बड़ी सजा दी है। जो उनके आंचल के लाडलों को पलभर में उनसे छीन लिया है। जिन्होंने परिवार की जिम्मेदारियों को संभालने के लिए बड़ा किया था, परिवार को आगे बढ़ाने के सपने सजाए थे, परिजनों से भगवान ने उन लाडलो को ही छीन लिया।
सड़क दुर्घटना में चौपाल तहसील के संदीप, अमरजीत सहित नेरवा निवासी मोहित भीमटा सहित प्रवीण जिंटा दुनिया को अलविदा कर गए है। प्रवीण जिंटा के घर में तो मानो दुखों का पहाड़ टूट गया हो। लगभग दो महीने पहले बड़े भाई की भी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई है। परिजन अभी पहले बैठे की यादों को भी नहीं भुला पाए थे कि घर के इकलौते चिराग और छोटे बेटे प्रवीण जिंटा की जिंदगी भी खूनी सड़क ने लील ली है। प्रवीण जिंटा के माता-पिता भगवान को दोषी करार मानते हुए दोष दे रहे है कि इतनी बड़ी सजा किस गलती की भगवान ने दी है। जो घर के इकलौते चिराग को भी उनसे छीन लिया है। बैठे के वियोग में डूबे माता-पिता के सामने अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा है। घर के आखिरी चिराग बुझ जाने के बाद जीने की चाह रखने वाले परिजनों ने जीने की चाह खत्म कर दी है। हालांकि ग्रामीण लगातार दिलासा दे रहे है। लेकिन परिजन जीने की बात सत्य मानने को तैयार नजर नहीं आ रहे है।
बताया जा रहा है कि दुर्घटना के शिकार हुए चारों मित्र नेरवा में एकत्रित हुए। शनिवार शाम पांच बजे के लगभग चारों मित्रों का विकासनगर की तरफ जाने का प्लान बना और चारों मित्र अपने अंतिम सफर पर निकल पड़े। निर्धारित स्पॉट पर पहुंचने के बाद रात के समय ही वापिस अपने घरों की तरफ निकल पड़े। रात के लगभग 3 बजे के करीब आसवी के समीप पहुंचते ही अचानक गाड़ी में तकनीकी खराबी आई और गाड़ी अनियंत्रित हो गई। जब तक चालक गाड़ी को संभालता ब्लैक स्पॉट के साथ खस्ताहाल सड़क के चलते गाड़ी गहरी खाई में जा गिरी। परिजनों ने यह सपने में भी नही सोचा होगा कि उनके लाडले अब कभी घर नही लौटेंगे।
अलबत्ता अनहोनी को कोई नही रोक सकता है। बहरहाल परिजनों के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे है। क्षेत्र के चारों तरफ शोक की लहर है। भले ही चारों मित्रों का अंतिम संस्कार हो चुका है लेकिन परिजन अभी भी अपने लाडलों के घर पहुंचने का इंतजार कर रहे है।