रेस्टिंग स्पेस ऐसी जगह होना चाहिए जहां पर शोर न हो, बदबू और वाइब्रेशन का भी पता न लगे ताकि नींद पर असर न पड़ें
हर कोई एयर ट्रैवल करते समय एरोप्लेन के बारे में जानने को बेकरार रहता है। प्लेन में कुछ हिस्से ऐसे होते हैं जहां पर यात्रियों का जाना बैन होता है। जब फ्लाइट्स लंबी दूरी की होती है तो उस समय जो प्लेन होता है वो बाकी एयरक्राफ्ट्स से काफी अलग होता है। आपको शायद पता भी नहीं होगा मगर जब आप प्लेन में होते हैं तो पायलट्स भी आराम कर रहे होते हैं।
आप जिस प्लेन में ट्रैवल करते हैं, उसके बारे में कई ऐसी बातें होती हैं, जिसके बारे में किसी को कुछ नहीं मालूम होता है।( आपको नहीं मालूम होगा कि जब आपकी फ्लाइट लॉन्ग ऑवर्स होती है तो उस समय पायलट से लेकर केबिन क्रू तक आराम करता है। प्लेन में कुछ ऐसी जगहें होती हैं जहां पर पैसेंजेर नहीं जा सकता है और इन्हें रेस्ट के लिए प्रयोग किया जाता है।
एयरक्राफ्ट के वो हिस्से हैं, जहां पर सिर्फ पायलट और केबिन क्रू को ही जाने की मंजूरी होती है। किसी भी स्थिति में यात्रियों के लिए इस हिस्से में जाना बैन होता है। यहां तक ये जगह आपको कभी नजर भी नहीं आएगी। इस जगह को क्रू रेस्ट कंपार्टमेंट्स कहते हैं और इनकी लोकेशन हर एयरक्राफ्ट में अलग-अलग होती है। किसी भी नए एयरक्राफ्ट जैसे कि बोइंग 787 या फिर एयरबस A350 में ये रेस्टिंग केबिन ऊपर की तरफ होते हैं। वहीं, अगर एयरक्राफ्ट पुराना है तो ये केबिन कार्गो वाले एरिया में भी हो सकते हैं।
ये कंपार्टमेंट्स पेयर्स में होते हैं यानी एक केबिन पायलट के लिए तो एक केबिन क्रू के लिए होता है। पायलट हमेशा कॉकपिट में होते हैं और इनका रेस्टिंग एरिया कॉकपिट के करीब ही होता है। अक्सर दो बंक्स और रिक्लाइनर सीट के साथ ये रेस्टिंग एरिया में होते हैं। केबिन क्रू के लिए जो कंपार्टमेंट होता है उसमें 6 बंक्स होते हैं।
एयरलाइंस का कहना है कि जब वो कोई प्लेन खरीदती हैं तो रेस्ट एरिया को अपने मुताबिक कंफीगर कराती हैं। लेकिन मुख्य मानक वहीं होते हैं तो फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से तय किए जाते हैं। इनमें कोई बदलाव नहीं होता है जैसे कि क्रू के लिए रेस्टिंग स्पेस ऐसी जगह होना चाहिए जहां पर शोर न हो, बदबू और वाइब्रेशन का भी पता न लगे ताकि नींद पर असर न पड़ें। इसके अलावा ये केबिन टेंप्रेचर कंट्रोल्ड होने चाहिए और क्रू, बिजली को अपने मुताबिक सेट कर सकता है।
बंक्स वो जगह जो लेट कर सोने की अनुमति देता है। ये साइज में 78 बाइ 30 इंच के होते हैं। यहां पर चेंजिंग और आने-जाने के लिए भी पर्याप्त जगह होती है। ये बिल्कुल जापानी कैप्सूल होटल की तरह होते हैं जिनमें खिड़की नहीं होती है मगर सोने के लिए जगह और बिजली की व्यवस्था होती है। इसके अलावा सुरक्षा के सभी इंतजाम जैसे ऑक्सीजन मास्क, सीट बेल्ट लाइट और इंटरकॉम जैसे फीचर्स भी होते हैं।
पायलट का रेस्टिंग एरिया, केबिन क्रू से पूरी तरह अलग होता है। कॉकपिट एरिया के करीब ये रेस्टिंग एरिया, फ्लाइट के समय पर निर्भर करता है। फ्लाइट में चार से ज्यादा पायलट्स भी हो सकते हैं। लेकिन दो हमेशा कॉकपिट में रहते हैं और ऐसे में रेस्ट एरिया में सिर्फ दो बंक्स होते हैं। इस एरिया में कभी-कभी इन फ्लाइट एंटरटेनमेंट के लिए उपकरण भी होते हैं जो केबिन क्रू के पास नहीं होते हैं। इसके अलावा पायलट के कंपार्टमेंट्स कुछ छोटे होते हैं।