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दुनिया पर तीसरे विश्वयुद्ध की आहट

By Sandhya Kashyap

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Summary

सुपर पावर अमेरिका के लिए यूरोपीय देशों  युद्ध बने अग्नि परीक्षा।        यूक्रेन और रूस का युद्ध लगातार पिछले 23 महीने से जारी है। इस युद्ध में अब तक दोनों और से जान माल का काफी नुकसान हो चुका है।  यूक्रेन को नाटो देशों के अलावा अमेरिका  से ...

विस्तार से पढ़ें:

सुपर पावर अमेरिका के लिए यूरोपीय देशों  युद्ध बने अग्नि परीक्षा।       

यूक्रेन और रूस का युद्ध लगातार पिछले 23 महीने से जारी है। इस युद्ध में अब तक दोनों और से जान माल का काफी नुकसान हो चुका है।  यूक्रेन को नाटो देशों के अलावा अमेरिका  से भी सैन्य उपकरण, असला, लड़ाकू विमान मिसाइल व हज़ारों टन गोला बारूद आदि की सहायता मिल रही है। जिस कारण वह अब तक उसके लिए रूस जैसे शक्तिशाली देश का डट कर मुकाबला करना संभव हो पाया है। यूक्रेन को हार के मुंह से निकालने के लिए यह अमेरिका के लिए अब प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है।

अभी इस युद्ध का परिणाम भी नहीं निकाल पाया कि  बीते वर्ष 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इसराइल पर करीब 5000 राकेट से अचानक हमला कर इसराइल के करीब 1180 नागरिकों की मौत  के साथ इसराइल सहित अन्य देशों के करीब 250 से अधिक लोगों को बंधक बना कर यूरोपीय देशों में नई जंग शुरू कर दी। इज़रायल को हमास से अपने नागरिकों की हत्या का बदला लेने व बंधकों को छुड़ाने के लिए इसराइल को हमास के खिलाफ युद्ध के मैदान मे उतरना पड़ा। यहां हमास के लड़ाके गाजा की धरती के नीचे बनाई गई। असंख्य सुरंगों में छिपकर अपना सारा नेटवर्क चला रहे हैं, जिसे इसराइल की आई डी एफ ने कुछ सुरंगों का पता लगा कर उन्हें नष्ट भी कर दिया। परन्तु ईरान से हमास को लगातार मिल रही तमाम सैन्य सहायता के चलते यह युद्ध लंबा खिंच गया। इसके अलावा हिजबुल्लाह व हुती विद्रोही भी युद्ध में हमास की मदद करने मैदान में उतर पड़े जिस कारण इजराइल को मिडिल ईस्ट में तीन फ्रंट पर यह युद्ध लड़ना पड़ रहा है। इस तरह यह युद्ध ट्रिपल एच बनाम इसराइल हो गया। इजराइल यहूदी देश होने के कारण यहां भी अमेरिका को इजराइल के लिए युद्ध सामग्री से लेकर तमाम सैन्य सहायता देनी पड़ रही है। अब यहां भी इसराइल का युद्ध जितवाने के लिए अमेरिका के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है। इस युद्ध में  हमास लड़ाकों सहित कई निर्दोष फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई। आंकड़ों की माने तो इस युद्ध में अब तक करीब 23000 से अधिक लोगों की मौत हो गई जिसमें 70 फीसदी महिलाएं व बच्चे शामिल हैं। 

लेबनान से हिजबुल्लाह तो यमन से हुती विद्रोही इजराइल के साथ साथ अमेरिकी एयरबेस को निशाना बना रहे हैं। अब इस युद्ध में परोक्ष रूप से उतरी कोरिया तथा रूस भी शामिल हो चुके हैं जो कि चोरी छिपे हमास, हिजबुल्ला व हुती विद्रोही को युद्ध सामग्री पहुंचा रहे हैं। चूंकि इजराइल ने रूस यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन की सैन्य मदद की थी और रूस इसका बदला अब हमास और हुती की सहायता करके ले रहा है। इतना ही नहीं अब नए साल में 6 जनवरी से तीसरा वार फ्रंट भी खुल गया है। दक्षिणी कोरिया व अमेरिका द्वारा चलाया जा रहा संयुक्त युद्धाभ्यास उतरी कोरिया को रास नहीं आया और उसने 6 जनवरी की सुबह पोंगपयोंग द्वीप में 2 घण्टे में 200 से अधिक गोले दाग दिए जिससे दोनों देश के बीच तनाव बढ़ गया। यह युद्धाभ्यास उत्तरी कोरिया की सीमा से सटे इलाके में हो रहा था। उत्तरी कोरिया व अमेरिका का छत्तीस का आंकड़ा है लिहाजा उसे यह मिलिट्री ड्रिल क्यों सहन होती। उत्तरी कोरिया भी परमाणु संपन्न देश है और वहां का सनकी राष्ट्रपति किंग जॉन कई बार खतरनाक मिसाइलों का परीक्षण कर अमेरिका को अपनी शक्ति दिखा चुका है।अब अगर यह युद्ध चला तो अमेरिका को दक्षिणी कोरिया की मदद करनी पड़ेगी। ऐसे में अमेरिका का कट्टर विरोधी रूस उतरी कोरिया की मदद के लिए आ खड़ा हो जायेगा। 

उधर विस्तारवादी चालाक चाइना भी ताइवान को घेरने की तैयारी में है। इस प्रकार युद्ध का चौथा फ्रंट भी खुल सकता है और अमेरिका को एक बार फिर ताइवान की रक्षा के लिए उतरना होगा। इस तरह चार मोर्चों पर अमेरिका के लिए युद्ध लड़ना या यूँ समझिए कि यूक्रेन,इजराइल, दक्षिणी कोरिया व ताइवान की रक्षा करना अमेरिका को मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में सुपर पावर अमेरिका की साख गिर सकती है।  अभी तक विश्व में भारत की विदेश नीति तटस्थ है और दुनिया के शक्तिशाली देशों से भारत के संबंध बेहतर है। लेकिन इस विश्व युद्ध की चिंगारी से भारत भी अछूता नहीं रह जाएगा। 

उधर अमेरिका में इसी वर्ष नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव भी होने है। इस तरह वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए भी यह अग्नि परीक्षा की घड़ी है। अमेरिका की जनता कतई नहीं चाहेगी कि उनका देश चारों तरफ़ से दुश्मन देशों से घिर जाए और उस पर तीसरे विश्व युद्ध थोपने का बट्टा लग जाए। देखा जाए तो इस वक्त दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है और अगर परमाणु हथियार का इस्तेमाल किया गया तो दुनिया का अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है।

बी. एन. शर्मा “पंकज”  रेणुका जी

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