मध्यप्रदेश: विधानसभा चुनाव 2023 अंतिम दौर में पहुंच चुका है प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद है जो 3 दिसंबर की काउंटिंग में खुलेगा। 17 नवंबर को हुई वोटिंग के बाद तरह-तरह के रुझान सामने आ रहे हैं। भाजपा की पूरी उम्मीद लाड़ली बहना पर टिकी हुई है। विपक्षी एंटी इंकम्बेंसी पर सवार है, सबसे बड़ा रुझान जो जनता की तरफ से निकलकर आया, इस बार पार्टी से ज्यादा प्रत्याशी देखकर जनता ने वोट दिया है। लोकतंत्र की बेहतरी के लिए जनता की ओर से उठाया गया बेहतरीन कदम कहा जा सकता है। जनता अब जागरुक हो चुकी है आचार संहिता के दौरान मतदाता पूरी तरह खामोश रही। प्रत्याशियों का व्यवहार और जाति पर सबसे ज्यादा फोकस किया गया है। प्रदेश का वोटिंग प्रतिशत भी बहुत अधिक गया है।
भाजपा ने नरसिंहपुर से केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को मैदान में उतारा है। पटेल बड़े नेता है उनकी समस्या कौन सुनेगा। कांग्रेस प्रत्याशी सहज रूप से उपलब्ध है सिर्फ एक बानगी नहीं है, बल्कि अधिकांश सीटों पर प्रत्याशी इस खतरे को भांप रहे हैं।
प्रदेश का औसत मतदान प्रतिशत करीब 78 प्रतिशत रहा है अधिकांश विधानसभाओं में मतदान का प्रतिशत 80 फीसदी से ज्यादा रहा है। महिलाओं का मतदान प्रतिशत भी खास रहा है मतदान प्रतिशत को लेकर दोनों प्रमुख दलों के अपने-अपने दावे हैं भाजपा जहां इसे लाड़ली बहना का असर बता रही है।
कांग्रेस इसे नारी सम्मान योजना और 500 रुपये में गैस सिलेंडर देने का असर बता रही है। भाजपा गुजरात मॉडल लागू करेगी 70 साल पार वालों को टिकट नहीं देने की बात थी। लेकिन प्रत्याशियों की मजबूत स्थिति को देखते बीजेपी ने दोनों ही बातें लागू नहीं की, पार्टी ने सिर्फ जीतने के फैक्टर को देखते हुए टिकट दिए, इसी तर्ज पर कांग्रेस ने भी टिकट बांटे हैं।