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Swapnil Kusale: ओलंपिक में मेडल जीत कर देश का बढ़ाया मान, धोनी को अपना आदर्श मानते हैं स्वप्निल!

By Shubham

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Summary

Swapnil Kusale का जन्म 6 अगस्त 1995 को कोल्हापुर के पास कंबलवाड़ी, महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने Paris Olympic 2024 में भारत का तीसरा पदक जीता हैं। उनका सफर MS Dhoni से काफी मिलता-जुलता है, जिनकी वे आदर्श मानते हैं। दोनों ही साधारण परिवारों से आते हैं और विश्व मंच ...

विस्तार से पढ़ें:

Swapnil Kusale का जन्म 6 अगस्त 1995 को कोल्हापुर के पास कंबलवाड़ी, महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने Paris Olympic 2024 में भारत का तीसरा पदक जीता हैं। उनका सफर MS Dhoni से काफी मिलता-जुलता है, जिनकी वे आदर्श मानते हैं। दोनों ही साधारण परिवारों से आते हैं और विश्व मंच पर सफलता हासिल की है। धोनी की तरह ही स्वप्निल भी टिकट कलेक्टर का काम करते हैं। लेकिन धोनी ने क्रिकेट के लिए यह नौकरी छोड़ दी, जबकि स्वप्निल अपनी रेलवे की नौकरी के साथ-साथ शूटिंग करियर को भी संभालते हैं।

Swapnil Kusale: ओलंपिक में मेडल जीत कर देश का बढ़ाया मान, धोनी को अपना आदर्श मानते हैं स्वप्निल!

स्वप्निल के पिता एक शिक्षक हैं। उन्होंने अपने बेटे की शूटिंग में रुचि को जल्द ही पहचान लिया और उसे एक शूटिंग स्कूल में दाखिला दिलाया। स्वप्निल ने जल्दी ही खुद को साबित किया और कई प्रतियोगिताएं जीतीं। 2015 में, उन्होंने एशियाई शूटिंग चैंपियनशिप में 50 मीटर राइफल प्रोन 3 इवेंट में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद भी उन्होंने सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए दो बार के राष्ट्रीय चैंपियन बने।

हालांकि स्वप्निल ने धोनी से कभी मुलाकात नहीं की, लेकिन वे क्रिकेट के इस दिग्गज खिलाड़ी के शांत स्वभाव और समर्पण से प्रेरित हैं। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “मेरा आदर्श धोनी है। मैं उनसे बहुत कुछ सीखता हूं। जैसे वे मैदान में शांत रहते थे, मैं भी शूटिंग रेंज में खुद को शांत रखने की कोशिश करता हूं।”

Swapnil Kusale: ओलंपिक में मेडल जीत कर देश का बढ़ाया मान, धोनी को अपना आदर्श मानते हैं स्वप्निल!

आज पैरिस के शतेरू शूटिंग रेंज में स्वप्निल का प्रदर्शन शानदार था। फाइनल में उन्हें कठिन शुरुआत का सामना करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपने स्कोर में सुधार किया। ‘प्रोन’ पोजीशन में, उन्होंने लगातार अच्छे स्कोर बनाए, जिससे वे रैंकों में ऊपर चढ़ते गए। ‘स्टैंडिंग’ शूटिंग कैटेगरी के दौरान, उन्होंने सटीक शॉट्स के साथ अपनी स्थिति को सुरक्षित कर लिया और अंततः कांस्य पदक जीता। स्वप्निल की कहानी धोनी के प्रसिद्ध होने की कहानी की याद दिलाती है। 2007 में, धोनी ने भारत को टी20 विश्व कप में जीत दिलाई, जिससे उनके शानदार करियर की शुरुआत हुई। इसी तरह, स्वप्निल भी अपने ओलंपिक सफलता को आधार बनाकर आगे बढ़ने का लक्ष्य रखते हैं, धोनी की शांति और दृढ़ता के मंत्र को अपनाते हुए।

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स्वप्निल कुशाले का सफर साबित करता है कि अगर किसी में जुनून और कड़ी मेहनत करने का जज्बा हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले इस खिलाड़ी ने अपने प्रदर्शन से देश का नाम रोशन किया है। वह न केवल एक महान शूटर हैं, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं। धोनी की तरह ही, स्वप्निल भी अपनी लगन और समर्पण से आगे बढ़ते हुए सफलता की ऊंचाइयों को छू रहे हैं। उनके इस सफर में हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।