HomeOnline Quizस्वास्थ्यशिक्षा/नौकरीराजनीतिसंपादकीयबायोग्राफीखेल-कूदमनोरंजनराशिफल/ज्योतिषआर्थिकसाहित्यदेश/विदेश

सूखे की चपेट में हिमाचल, 550 पेयजल योजनाओं का जलस्तर गिरा

By Radha Sharma

Published on:

Summary

60 फीसदी कृषि क्षेत्र प्रभावित शिमला: समय पर बारिश न होने से हिमाचल प्रदेश सूखे की चपेट में आ गया है। अब तक प्रदेश की 550 पेयजल योजनाओं का जल स्तर गिर चुका है। इससे प्रदेश के कई इलाकों में पेयजल की किल्लत हो गई है। प्रदेश में कुल 9800 ...

विस्तार से पढ़ें:

60 फीसदी कृषि क्षेत्र प्रभावित

शिमला: समय पर बारिश न होने से हिमाचल प्रदेश सूखे की चपेट में आ गया है। अब तक प्रदेश की 550 पेयजल योजनाओं का जल स्तर गिर चुका है। इससे प्रदेश के कई इलाकों में पेयजल की किल्लत हो गई है। प्रदेश में कुल 9800 पेयजल योजनाएं हैं। राजस्व एवं जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने इसे लेकर सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी है। एक मई को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर विभिन्न विभागों के साथ समीक्षा बैठक भी करेंगे। इसके बाद सरकार इस मामले को केंद्र सरकार से उठाकर राज्य को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग करेगी। 

जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि कृषि-बागवानी क्षेत्र पर भी सूखे की भारी मार पड़ी है। सेब बहुल क्षेत्र में 7,000 फीट तक के ऊंचाई वाले बगीचों में इसका असर देखने को मिल रहा है। बारिश नहीं हुई तो 8,000 फीट तक की ऊंचाई वाले सेब बगीचों पर भी सूखे की मार पड़ सकती है। इससे फलों का आकार छोटा रह जाएगा। सूखे से कृषि क्षेत्र भी 60 फीसदी तक प्रभावित हुआ है। गेहूं की फसल पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है। किसानों को उनकी मेहनत के मुताबिक फसल हासिल नहीं हुई। इस बार गेहूं का दाना पूरी तरह तैयार नहीं हो पाया।

सूखे की चपेट में हिमाचल, 550 पेयजल योजनाओं का जलस्तर गिरा

जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि कृषि-बागवानी क्षेत्र पर भी सूखे की भारी मार पड़ी है। सेब बहुल क्षेत्र में 7,000 फीट तक के ऊंचाई वाले बगीचों में इसका असर देखने को मिल रहा है। बारिश नहीं हुई तो 8,000 फीट तक की ऊंचाई वाले सेब बगीचों पर भी सूखे की मार पड़ सकती है। इससे फलों का आकार छोटा रह जाएगा। सूखे से कृषि क्षेत्र भी 60 फीसदी तक प्रभावित हुआ है। गेहूं की फसल पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है। किसानों को उनकी मेहनत के मुताबिक फसल हासिल नहीं हुई। इस बार गेहूं का दाना पूरी तरह तैयार नहीं हो पाया।

मंत्री ने कहा कि सूखाग्रस्त क्षेत्रों में हैंडपंप लगाने के लिए स्थान चिह्नित करने का निर्णय लिया गया है। विभाग के विशेषज्ञ ऐसे स्थानों को चयनित करेंगे, जहां हैंडपंप लगाए जा सकें, ताकि लोगों को पेयजल की किल्लत से राहत मिल सके। कोशिश रहेगी कि पेयजल टैंकरों के बजाय पेयजल योजनाओं से ही लोगों को पेयजल उपलब्ध करवाया जाए। उन्होंने कहा कि वीरवार को भी अधिकारियों से बैठक करके सूखे की स्थिति का जायजा लिया गया है। केंद्र सरकार से हिमाचल प्रदेश को सूखाग्रस्त राज्य घोषित करके उचित मदद उपलब्ध करवाने का आग्रह किया जाएगा। साथ ही केंद्रीय दल से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने का भी आग्रह किया जाएगा। 

प्रदेश में एक मार्च से 28 अप्रैल तक सामान्य से 93 फीसदी कम बारिश हुई। इस अवधि के दौरान 172.2 मिलीमीटर बारिश को सामान्य माना गया है, जबकि प्रदेश में इस वर्ष मात्र 12.4 मिलीमीटर बारिश ही हुई। बिलासपुर में सामान्य से 95, चंबा में 94, हमीरपुर में 92, किन्नौर में 91, कुल्लू में 84, कांगड़ा में 92, लाहौल-स्पीति में 94, मंडी में 83, शिमला में 94, सिरमौर में 99, सोलन में 95 और ऊना में 96 फीसदी कम बारिश हुई। उधर, प्रदेश में एक से 28 अप्रैल तक सामान्य से 89 फीसदी कम बारिश हुई।

जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति में इस बार बर्फ बारी नहीं हुई है। इसके चलते जिला में फसल की बिजाई में दिक्कतें पेश आई हैं। प्रदेश के जंगलों में लगातार आगजनी की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। 

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Radha Sharma

राधा शर्मा, हिमाचल प्रदेश के विभिन्न प्रिंट,ईलेक्ट्रोनिक सहित सोशल मीडिया पर सक्रीय है! विभिन्न संस्थानों के साथ राधा शर्मा"अखण्ड भारत" सोशल मीडिया पर मोजूदा वक्त में सक्रियता निभा रही है !