शिलाई : प्रदेश में भले ही सत्तासीन सरकार व्यवस्था परिवर्तन की बातों से जनता को लुभावने वादें करती नजर आ रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत सरकार के वादों से विपरीत नजर आती है। मामला जिला सिरमौर के खंड विकास कार्यालय शिलाई का सामने आया है। जहां पर भाजपा सरकार के कार्यकाल में ग्राम पंचायत हलाह की प्रधान को भ्रष्टाचार के मामलों सहित सरकारी धन के दुरुपयोग पर सस्पेंड किया गया था। प्रदेश में सरकार बदली तो सत्तासीन नेताओं के आशीर्वाद से हलाह पंचायत के प्रधान को बहाल किया गया। बावजूद उसके करोड़ों रुपए का गड़बड़ झाला हलाह पंचायत प्रधान की मुसीबतें कम होने की जगह बढ़ा रही है। हाल ही में प्रदेश उच्च न्यायालय ने मामले में कड़ा संज्ञान लिया है और मामले में सरकार को कार्यवाही के सख्त आदेश जारी किए है। जिसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और पंचायत प्रधान सहित संबंधित कर्मचारियों पर कड़क एक्शन लेने के मूड में नजर आ रहा है।
उच्च न्यायालय ने विभाग को आदेश में बताया है कि ग्राम पंचायत हलाह के अंदर सभी प्रकार के रिकॉर्ड को सील किया जाए। पंचायत के अंदर चल रही स्कीमों को बंद किया। पंचायत के अंदर सभी विकासात्मक निधियों से हो रहे कार्य बंद रहेंगे। पंचायत को कोई भी नई स्कीम की स्वीकृति नहीं होगी। पंचायत प्रधान सहित संबंधित कर्मचारियों की पोथी उच्च न्यायालय को प्रस्तुत की जाए। साथ ही भ्रष्टाचारियों पर सरकार द्वारा की गई कार्यवाही न्यायालय को बताई जाएं। न्यायालय के आदेशों पर जिला प्रशासन सहित शिलाई प्रशासन में हड़कंप मच गया है। यहां सब अपने अपनो को बचाने की फिराक में नजर आ रहे है। कई छुटभैया नेता यहां अपनी जोर आजमाइश में कसरत करते नजर आ रहे है।
जानकारी के मुताबिक हलाह पंचायत के अंदर प्रतिनिधियों सहित संबंधित कर्मचारियों पर करोड़ों रुपए सरकारी धन पर घोटाला करने के गंभीर आरोप है। जिस पर कई बार कार्यवाही भी की गई और पंचायत प्रधान को सस्पेंड भी किया गया है। पंचायत वासियों ने सरेआम हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत विभाग व सरकार को की थी। लेकिन जब संतोषजनक कार्यवाही नहीं हुई तो पंचायत के लोगों ने उच्च न्यायालय पहुंचकर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है। इससे पहले कई मर्तबा हलाह पंचायत के प्रतिनिधियों ने मामले को दबाने के लिए ग्रामीणों पर लड़ाई, झगड़े से लेकर रिश्तों को तार तार करके कई संगीन आरोप भी लगाए है। जिनके मामले न्यायालय में विचाराधीन है। लेकिन अब मामला उच्च न्यायालय पहुंचने के बाद पंचायत वासियों को न्याय की आस बंधी है।
विभागीय सूत्रों की मानें तो जिला सिरमौर प्रशासन, उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद हलाह पंचायत के प्रतिनिधियों सहित संबंधित कर्मचारियों पर बड़ी कार्यवाही करने वाला है। सूत्रों के अनुसार विभाग ने पंचायत प्रधान को टर्मिनेट करने के फिराक में नजर आ रहा है। जबकि ग्राम पंचायत के तत्कालीन कनिष्ठ अभियंता, पंचायत सचिव और जीआरएस को सस्पेंड किया जाएगा। हालांकि विभागीय कार्यवाही होना अभी बाकी है। बताया यह भी जा रहा है कि यदि विभागीय कर्मचारियों की सरकार में अच्छी पैठ हुई तो उन्हें पहले कारण बताओं नोटिस दिए जाने है। लेकिन पंचायत प्रतिनिधियों पर बड़ी कार्यवाही होना तय है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले हलाह पंचायत प्रधान 6 महीने से भी अधिक समय तक सस्पेंड रही है और करोड़ों रुपए रिकवरी की गाज पर विभाग अभी तक जांच कर रहा है। यदि उपमंडलाधिकारी शिलाई की एक जांच रिपोर्ट पर नजर डाली जाए तो जांच रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर सरकारी धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार होने की पुष्टि हो जाती है। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट होता है कि पंचायत के अंदर कनिष्ठ अभियंता, सचिव और जीआरएस ने प्रतिनिधियों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार किया है। विकासात्मक स्कीमों में करोड़ों रुपए का गबन किया है। इसलिए पंचायत प्रतिनिधि अपने दायित्व को निभाने में सक्षम नजर नहीं आते है और विभागीय कार्यवाही होनी चाहिए। ताकि पंचायत का निर्वाहन दायित्व प्रतिनिधियों के हाथों में जाएं। अलबत्ता जिला प्रशासन को उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद अब मामले में कार्यवाही करनी है। जो भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों सहित सरकारी धन के दुरुपयोग करने वाले कर्मचारियों की कमर तोड़ने वाली है।
खण्ड विकास अधिकारी शिलाई सुमित सूद ने बताया कि हलाह पंचायत मामले में उच्च न्यायालय के आदेश उन्हे प्राप्त हुए है जिस पर सख्ती से कार्यवाही की जा रही है। उनके कार्यक्षेत्र में जो कार्य है वह उनकी पूर्ण रिपोर्ट बना रहे है जबकि मामले में जिला प्रशासन आगामी कार्यवाही करेगा।
जिला पंचायत अधिकारी विक्रम ठाकुर ने बताया कि हलाह पंचायत के अंदर बड़ा घपला हुआ है। जिस पर जिला प्रशासन दो दिनों के अंदर बड़ी कार्यवाही करने जा रहा है। उच्च न्यायालय के आदेश उन्हे प्राप्त हुए है। जिस पर सप्ताह के अंदर उन्हें विभागीय कार्यवाही की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।