संजीव कपूर/शिमला डेस्क: हिमाचल प्रदेश के अंदर राजनीति का स्तर इतना नीचे गिर गया है कि यहां राजनीतिक गोटियां खेलने वालों को क्षेत्र, परिवार और बच्चों के भविष्य की परवाह नजर नहीं आ रही है। इसे सत्तासीन नेताओं का दबाव कहें या फिर छुटभैया नेताओं की मतलब परस्ती कहें, दोनो ही कारणों में यहां नुकसान युवाओं सहित आम जनता का ही नजर आ रहा है।
मामला प्रदेश के अंदर जिला सिरमौर में पड़ने वाले गिरिखंड क्षेत्र का है। जहां की जनता बीते 6 दशक से अपने अधिकारों की लड़ाई सरकार से लड़ती आ रही है। लेकिन इंसाफ राजनीति की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। देश के अंदर लोकसभा चुनाव में लगभग 4 महीने का समय बाकी है। लेकिन हिमाचल के अंदर इसकी चिंगारी की शुरुआत जिला मुख्यालय नाहन में हुए हाटी आंदोलन ने कर दी है। गिरीखंड क्षेत्र और हाटी समुदाय को मिले जनजातीय क्षेत्र दर्जे पर पक्ष और विपक्ष दोनों ही शिलाई में आमने सामने आ गए है। यहां भाजपा, हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा दिलवाकर बड़ी उपलब्धि बता रही है, तो प्रदेश में सत्तासीन कांग्रेस सरकार, केंद्र सरकार के जनजातीय बिल पर दर्जनों खामियां बताकर क्षेत्र की जनता को बरगलाने में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती है। इसलिए सत्तासीन कांग्रेसी खेमा हाटी कल्याण मंच खड़ा करके प्रदेश उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान की अगुवाई में केंद्र सरकार के खिलाफ 15 दिसम्बर को हल्ला बोलेगी। और केंद्र सरकार की नाकामियों को गिनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
वहीं 16 दिसम्बर को केंद्रीय हाटी समिति के आंदोलन की चौथी आंदोलन रैली में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर खुद उपस्थित होने का आश्वासन जनता को दे चुके है। अब किसकी रैली जनता को कितना फायदा पहुंचाएगी यह तो समय निर्धारित करेगा, लेकिन वर्तमान में हाटी समुदाय को मिलने वाला जनजातीय क्षेत्र का दर्जा कुटिल राजनीति की भेंट चढ़ गया है। जनता को उनके अधिकार दिलाने वाले क्षेत्रीय नेताओं सहित सरकार के दावे खोखले साबित नजर आ रहे है और 6 दशक पूरे होने के बाद भी लोगों के अधिकारों की राह अभी आसान नजर नहीं आ रही है।
अलबत्ता कांग्रेस और भाजपा के दिग्गजों ने शिलाई को राजनीति का प्रदेश स्तरीय अखाड़ा बना दिया है। यहां 15 दिसंबर को कांग्रेस अपनी राजनीति के बल पर लोगों को केंद्र सरकार की खामियों बारे बताएगी। वहीं 16 दिसम्बर को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हाटियो के लिए हुंकार भरेंगे। दोनों ही पार्टियों के लिए राजनीतिक परिणाम जैसे भी रहेंगे लेकिन जनता की राह अधिक कठिन होती नजर आ रही है।