वन अधिकार मंच सिरमौर की पहल लाने लगी रंग : Shillai में अप्रैल में होगी समिति की बैठक

By Sandhya Kashyap

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Shillai :  कार्यवाहक उपमंडलाधिकारी व विकास खण्ड अधिकारी  अभिषेक सिंह ठाकुर से मिला प्रतिनिधिमंडल  

Shillai 12 अप्रैल : सिरमौर वन अधिकार मंच के माध्यम से लंबे समय से लंबित चल रहे वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत विभिन्न दावों को लेकर अब उम्मीद की किरण नजर आने लगी है। नैनीधार, लानी बोहराड़, पनोंग, नाया पंजोड़, जासवी व अजरोली गांवों से आए दावेदारों ने उपमंडलाधिकारी शिलाई से मुलाकात कर अपनी मांगें रखीं है। इस अवसर पर लगभग 3 दर्जन से ज्यादा दावेदारों ने अपने पट्टे स्थाई करने की मांग रखी है।

ज्ञात हो कि उक्त गांवों से संबंधित कुल 29 व्यक्तिगत दावे और एक सामूहिक दावा विगत 7-8 वर्षों से लंबित पड़े हैं। ये सभी मामले ग्रामसभा व वन अधिकार समितियों द्वारा पारित होकर उपमंडल स्तरीय समिति Shillai के पास भेजे जा चुके हैं, और इनकी सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। बावजूद इसके, उपमंडल स्तरीय समिति Shillai की उक्त मामलों को लेकर कोई बैठक व कार्यवाही अम्ल में नहीं लाई गई है।

हालांकि, उपमंडल अधिकारियों से हुई ताज़ा बैठक में यह आश्वासन मिला है कि अप्रैल माह में समिति की बैठक बुलाई जाएगी। इस बैठक में सभी दावों पर सकारात्मक निर्णय लेकर उन्हें जिला स्तरीय समिति को अगली कार्यवाही हेतु भेजा जाएगा।

हिमाचल प्रदेश सरकार का रुख और नियमावली

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने वन अधिकार अधिनियम 2006 को प्रभावी रूप से लागू करने की दिशा में कदम उठाए हैं। राज्य सरकार ने वर्ष 2024- 25 में एक स्पष्ट नियमावली (एसओपी) जारी की है, जिसके तहत व्यक्तिगत और सामूहिक वन अधिकारों के दावे प्रस्तुत करने, सत्यापन, ग्रामसभा से स्वीकृति और उपमंडल व जिला स्तर की समितियों द्वारा परीक्षण की प्रक्रिया निर्धारित की गई है।

प्रदेश सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन लोगों ने 2005 से पूर्व से जंगल में निवास किया है अथवा भूमि पर आश्रित हैं, वे इस कानून के तहत अपने अधिकारों की मांग कर सकते हैं। वन विभाग, ग्रामीण विकास विभाग तथा पंचायत प्रतिनिधियों को मिलाकर कार्यवाही के लिए समितियों का गठन किया गया है। सिरमौर जिला में भी इस दिशा में सक्रियता दिखाई जा रही है, और वन अधिकार मंच जैसे जन संगठनों की भागीदारी से प्रक्रिया को बल मिल रहा है।

वन अधिकार कानून 2006 भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था और 1 जनवरी 2008 से जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू किया गया। वर्ष 2012 में इसमें संशोधन कर इसे सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू किया गया। यह कानून चार प्रकार के अधिकार प्रदान करता है:
1. व्यक्तिगत वन अधिकार  
2. सामूहिक वन अधिकार  
3. वन के संरक्षण और प्रबंधन का अधिकार  
4. विकास कार्यों हेतु वन अधिकार  

सिरमौर वन अधिकार मंच के संयोजन और स्थानीय लोगों की सक्रिय भागीदारी से अब यह उम्मीद बढ़ गई है कि वनवासी समुदायों को उनका कानूनी अधिकार शीघ्र प्राप्त होगा।

कार्यवाहक उपमंडलाधिकारी Shillai व विकास खण्ड अधिकारी Shillai अभिषेक सिंह ठाकुर ने दावेदारों का प्रतिनिधि मण्डल मिलने की पुष्टि करते हुए बताया कि दावेदारों ने एक ज्ञापन के माध्यम से उपमंडल स्तरीय बैठक का आग्रह किया है। इसलिए सभी नियमों को मद्देनजर रखते हुए अप्रैल महीने में ही बैठक का आयोजन निर्धारित किया गया है। बैठक होने की सूचना उपमंडल के वन अधिकार समिति सहित दावेदारों को दी जाएगी और नियमानुसार सभी दावों पर जल्द कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।

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