डेस्क: दुनिया का औसत तापमान 3 जुलाई को एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया। पहली बार ऐसा हुआ जब वैश्विक औसत तापमान 17 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि अल नीनो नामक प्राकृतिक मौसम घटना और इंसानों की ओर से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के संयोजन से गर्मी बढ़ रही है। पिछले महीने की पुष्टि दुनिया के अब तक के सबसे गर्म जून के रूप में भी की गई है। भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान बढ़ने की घटना ‘अल नीनो’ कहलाती है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, यूएस नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल प्रेडिक्शन के वैज्ञानिकों ने कहा कि दुनिया का औसत तापमान 3 जुलाई को 17.01 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जिसने अगस्त 2016 के बाद से 16.92 डिग्री सेल्सियस के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया। इस साल की शुरुआत से ही शोधकर्ता जमीन और समुद्र में बढ़ते तापमान को लेकर चिंतित हैं। स्पेन और एशिया के कई देशों में गर्मी ने वसंत में नए रिकॉर्ड स्थापित किए और उत्तरी सागर जैसी जगहों पर हीटवेव देखी गई जहां आमतौर पर गर्मी नहीं पड़ती है।
1979 से सबसे अधिक तापमान
वर्तमान में चीन भीषण हीटवेव का सामना कर रहा है और कुछ जगहों पर तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है। दूसरी ओर दक्षिणी अमेरिका में भी दमघोंटू स्थिति बनी हुई है। 1979 में सैटेलाइट मॉनिटरिंग रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से सोमवार का तापमान सबसे अधिक गर्म था। विशेषज्ञों का मानना है कि 19वीं शताब्दी के अंत में इंस्ट्रूमेंटल रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से यह सबसे अधिक है।
अल नीनो और CO2 उत्सर्जन से बढ़ी गर्मी
शोधकर्ताओं का मानना है कि नया अधिकतम तापमान प्राकृतिक घटना अल नीनो और कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन का एक संयोजन है। खबर के अनुसार जलवायु शोधकर्ता लियोन सिमंस ने कहा, ‘हमारे पास विश्वसनीय रिकॉर्ड उपलब्ध होने के बाद से पहली बार औसत वैश्विक सतही हवा का तापमान 17 डिग्री सेल्सियस पहुंचा है।’ उन्होंने कहा कि अब जब अल नीनो का गर्म चरण शुरू हो रहा है तो हम अगले 1.5 वर्षों में बड़े पैमाने पर दैनिक, मासिक और वार्षिक रिकॉर्ड टूटने की उम्मीद कर सकते हैं।