संदीप घोष, जो कि आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल थे, उन्हें सीबीआई ने एक लंबी जांच के बाद गिरफ्तार कर लिया। संदीप से 15 दिनों तक सीबीआई ने पूछताछ की, जो 16 अगस्त से शुरू हुई थी। पूछताछ सिर्फ़ हफ्ते के दिनों में होती थी, और 28 अगस्त को उन्हें फिर से सीजीओ कॉम्प्लेक्स बुलाया गया। उस शाम को सीबीआई अधिकारियों ने उन्हें निज़ाम पैलेस ले जाकर उनकी गिरफ्तारी की घोषणा की। आपको बताते चले यह निज़ाम पैलेस कोलकाता में सीबीआई का हेड क्वार्टर है।
9 अगस्त को कोलकाता के एक महिला डॉक्टर का बलात्कार करके बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी गई। हत्या के बाद जब जांच शुरू हुई, तो पता चला मूल आरोपी संजय राई प्रिंसिपल संदीप घोष के करीबी हैं। तभी से संदीप के इस घटना से जुड़े होने पर सवाल उठाए गए थे। सीबीआई ने पहले उन्हें 15 अगस्त को बुलाया, लेकिन वे हाज़िर नहीं हुए। अगले दिन, उन्हें सड़क से सीधे सीबीआई ऑफिस ले जाया गया। अगले 14 दिनों तक, संदीप ने सीबीआई ऑफिस में हर दिन 10 से 14 घंटे बिताए। 25 अगस्त को, सीबीआई की एक टीम ने संदीप के बेलघाटा स्थित घर पर छापा मारा, लेकिन उन्होंने दरवाजा खोलने में 75 मिनट का समय लिया। सीबीआई अब अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं की भी जांच कर रही है, जैसा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है। इन आरोपों के संबंध में सीबीआई ने 24 अगस्त को एक एफआईआर दर्ज की।
इस बीच, डॉक्टरों और छात्रों के चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच, संदीप ने 12 अगस्त को प्रिंसिपल पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन उन्हें थोड़े समय के लिए एक अन्य सरकारी अस्पताल में नियुक्त किया गया था। सार्वजनिक दबाव के चलते, उन्हें अंततः वहां से भी हटा दिया गया। अब सीबीआई आरजी कर अस्पताल में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही है, जिसमें संदेहास्पद तरीके से फंडस के धांधली का मामला भी शामिल है।
इस मामले ने न केवल स्वास्थ्य जगत में हलचल मचाई है, बल्कि इसे लेकर जनता और मीडिया का ध्यान भी खींचा है। कई लोग इस बात से चिंतित हैं कि अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों में भी भ्रष्टाचार और अनियमितताएं हो रही हैं। सीबीआई की इस जांच से यह उम्मीद की जा रही है कि अस्पताल में हो रही अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश होगा, और दोषियों को सज़ा मिलेगी। इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की सुरक्षा और संस्थानों की पारदर्शिता के बारे में कई सवाल खड़े कर दिए हैं।