भारत के महान उद्योगपति और Tata Sons के पूर्व चेयरमैन Ratan Tata का 9 अक्टूबर की रात को 86 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जब उनका रक्तचाप अचानक गिर गया। उनकी तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली।
Ratan Tata के निधन की खबर सबसे पहले उद्योगपति हर्ष गोयनका ने ट्विटर पर दी। उन्होंने शोक व्यक्त करते हुए लिखा, “घड़ी की सुइयां थम सी गईं हैं। एक महानायक चल बसा हैं। #RatanTata एक आदर्श थे, जिन्होंने ईमानदारी, नैतिकता, नेतृत्व और परोपकार का उदाहरण स्थापित किया। उनके विचार हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी।”
कुछ दिनों पहले ही, 7 अक्टूबर को, रतन टाटा ने सोशल मीडिया पर अपने स्वास्थ्य को लेकर फैली अफवाहों को खारिज करते हुए कहा था कि वह केवल उम्र से संबंधित नियमित स्वास्थ्य जांच करवा रहे हैं और चिंता की कोई बात नहीं है। हालांकि, उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बनी हुई थीं।
Ratan Tata का पूरा जीवन Tata Group को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए समर्पित रहा। उन्होंने 1991 में टाटा संस के चेयरमैन का पद संभाला और अपने परदादा द्वारा स्थापित इस कंपनी को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया। उनके नेतृत्व में 1996 में टाटा टेलीसर्विसेज की स्थापना हुई, जिससे टाटा समूह ने दूरसंचार क्षेत्र में कदम रखा।
इसके अलावा, उनके कार्यकाल में Tata Consultancy Services (TCS) 2004 में सार्वजनिक हुई, जिससे यह कंपनी दुनिया की प्रमुख आईटी कंपनियों में शुमार हो गई। रतन टाटा की दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प और नेतृत्व क्षमता ने न केवल टाटा समूह को एक नए आयाम पर पहुंचाया, बल्कि लाखों भारतीयों को प्रेरित किया। रतन टाटा की उपलब्धियां आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी, और उनका नाम भारतीय उद्योग के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। उनके निधन से देश ने एक महानायक खो दिया है।