धर्मपुर : लोक निर्माण विभाग मंडल धर्मपुर के अधिशासी अभियंता विवेक शर्मा को प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद राहत कार्य में लापरवाही बरतने पर निलंबित कर दिया गया है। प्रदेश उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बरोटी एट तड़ा केस की सुनवाई के दौरान सख्त रुख अपनाते हुए पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर इन चीफ को आदेश दिया कि एक्सियन धर्मपुर को तत्काल प्रभाव से निलंबन के आदेश जारी करते हुए किसी उपयुक्त अधिकारी को अधिकृत करें ताकि याचिकाकर्ता के मकान की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
बता दें कि आईटीआई बरोटी एट तड़ा की सुरक्षा दीवारें लगाने में बरती गई लापरवाही के लिए प्रारंभिक तौर पर पीडब्ल्यूडी और यूनिप्रो नामक कंपनी को उत्तरदायी ठहराया गया है। बिना डिमार्केशन के विभाग ने काम शुरू करवाया, फिर कंस्ट्रक्शन कंपनी को फायदा पहुंचाने की खातिर कच्ची मिट्टी पर करीब 80 लाख के डंगे लगा दिए। कच्ची जमीन इतना बड़ा बोझ नहीं झेल पाई और सुरक्षा दीवारों में दरारें पड़ गईं। दिलचस्प बात यह है कि पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने यूनिप्रो कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए सुरक्षा दीवारों के पीछे बोल्डर की जगह मिट्टी भर डाली। कंपनी ने लोगों को प्लाट बनाकर दिए और वहां से मिट्टी उठाकर डंगों में डाल दी। पंचायत के प्रतिनिधियों और रिहायशी मकानों के मालिकों ने विभाग और कंपनी के समक्ष आपत्ति जताई लेकिन किसी ने नहीं सुनी।
सूत्रों के अनुसार यूनिप्रो नामक कंपनी के पास भवन निर्माण का कोई अनुभव नहीं है जबकि गत सरकार के समय इस कंपनी को रैस्ट हाऊस, आईटीआई सहित आधा दर्जन भवनों को बनाने के लिए करोड़ों रुपए के ठेके दिए गए हैं। पीडब्ल्यूडी मंडल धर्मपुर ने 5जी केबल ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए डंगों के नीचे ओएफसी केबल की खुदाई करवा दी। लोगों ने बरसात का हवाला दिया लेकिन विभाग ने अपने कर्मी भेज कर जनता पर दबाव बनाया। मूसलाधार बारिश से 26 जून को डंगे धराशायी हो गए और मलबे ने पंचायत की लाखों की जमीन तथा निर्माणाधीन ढांचे को भारी नुक्सान पहुंचाया। आज हालात ये हैं कि गंतरेलु से जीरो कैंची हवाणी तक दर्जनों घरों में पानी रिस रहा है और खोदी गई सड़क कई जगह नाले में तबदील हो चुकी है।