दिल्ली: अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्था न होने से मरीज व तीमारदार कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे ठिठुरने को मजबूर हैं। कहर बनकर टूट रही इस सर्दी में कोई पेड़ के नीचे तो कोई से बिना कंबल के मेट्रो स्टेशन के बाहर सो रहा है। देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स के बाहर मरीज के साथ तीमारदार सर्द हवाओं के बीच रहने पर मजबूर हैं। स्थिति राम मनोहर लोहिया अस्पताल व सफदरजंग अस्पताल की भी हैं। यहां इलाज कराने आए मरीज व तीमारदार पार्क, फुटपाथ, फ्लाइओवर के नीचे व पार्किंग क्षेत्र में रात गुजार रहे हैं। कमोबेश यही स्थिति रैन बसेरों में भी है। जगह न होने की वजह से बेघर फुटपाथ व बस स्टैंड पर रात गुजारने को मजबूर हैं। कई लोगों के पास तो गर्म कपड़े तक नहीं हैं।
आरएमएल अस्पताल में बिहार के मुजफ्फरपुर से अपने बेटे का इलाज कराने आए 64 वर्षीय संजय मिश्रा ने बताया कि बड़ी मुश्किल से चार दिन बाद उनके बेटे को अस्पताल में भर्ती किया गया है। उनके पास इतने रुपये नहीं हैं कि वह कहीं कमरा लेकर रहें। रिश्तेदार के यहां भी गए थे, लेकिन तीन-चार दिन हो जाने पर वहां ठीक नहीं लगा। इलाज कब तक चलेगा, इसका कुछ पता नहीं है। ऐसे में यही टीन सर्दी से बचने का सहारा है। हरियाणा के मेहंद्रगढ़ से आए हेमंत रस्तोगी कहते हैं कि मरीज के साथ एक तीमारदार के रुकने की व्यवस्था होनी चाहिए। वरना इस कड़कड़ाती ठंड में मरीज के साथ तीमारदार भी बीमार हो जाएगा।
एम्स मेट्रो स्टेशन के नीचे बने अंडरपास में लोग सोते दिखाई दिए। उत्तर प्रदेश से अपने बेटे का इलाज कराने आए लोकेश राय ने बताया कि उनके बेटे को थायराइड की बीमारी है, जिसका इलाज कराने वह एम्स आए है। रविवार को बेटे को दिखाने में ही शाम हो गई है। ऐसे में वह फ्लाइओवर के नीचे सो रहे हैं। अस्पताल की ओर से मरीज व तीमारदारों की ओर से कोई इंतजाम नहीं किया गया है।
रैन बसेरों में पर्याप्त व्यवस्था और सोने की जगह न होने की वजह बेघरों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बेघरों के लिए दिल्ली सरकार की ओर से कई जगहों पर रैन बसेरे बनाए गए हैं, लेकिन तमाम खामियां व सख्त नियम होने से बेघर खुले आसमान के नीचे फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं। गोल मार्केट, बाबा खड़क सिंह मार्ग, बंगला साहिब, मिंटो रोड, कड़कड़ड्मा, आईटीओ, यमुना बैंक, लक्ष्मी नगर, विवेक विहार समेत कई ऐसे इलाके हैं, जहां बेघर फुटपाथ पर सोते और अलाव सेंकते दिख जाएंगे।