किसानों को पशुओं के पालने में करना होगा सुधार
शिमला: बाजारों में बिकने वाले गाय-भैंस के दूध में एंटीबायोटिक दवाओं के अवशेष पाए गए हैं। अभी यह अवशेष सहिष्णुता सीमा पर हैं। अगर यह स्वीकार्य सीमा से ज्यादा हो गए तो दूध आपकी सेहत बनाने के बजाय उल्टा बिगाड़ देगा। चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के वेटरनेरी विभाग द्वारा प्रदेश के कई क्षेत्रों में किए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि किसानों को पशुओं के पालने में सुधार करना होगा। ज्यादा दूध निकालने के लालच में या बीमारी के दौरान हद से ज्यादा एंटीबायोटिक दवाएं पशुओं को खिलाना इंसानों के लिए खतरा बन सकती हैं।
बाजारों में बिकने वाले गाय-भैंस के दूध में एंटीबायोटिक दवाओं के अवशेष पाए गए हैं। अभी यह अवशेष सहिष्णुता सीमा पर हैं। अगर यह स्वीकार्य सीमा से ज्यादा हो गए तो दूध आपकी सेहत बनाने के बजाय उल्टा बिगाड़ देगा। यानी यह अलार्मिंग स्थिति है। चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के वेटरनेरी विभाग द्वारा प्रदेश के कई क्षेत्रों में किए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि किसानों को पशुओं के पालने में सुधार करना होगा। ज्यादा दूध निकालने के लालच में या बीमारी के दौरान हद से ज्यादा एंटीबायोटिक दवाएं पशुओं को खिलाना इंसानों के लिए खतरा बन सकती हैं।
यह अध्ययन इस विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा जनस्वास्थ्य एवं महामारी विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों अतुल कुमार, अशोक कुमार पांडा और नीलम शर्मा ने किया है। शोध के अनुसार दूध में एंटीबायोटिक अवशेष डेयरी उद्योग की आर्थिकी के अलावा उपभोक्ताओं के लिए स्वास्थ्य जोखिम पैदा करते हैं। 173 कच्चे और पाश्चुरीकृत दूध में एंटीबायोटिक की उपस्थिति से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों का आकलन किया गया, जिसके अनुसार ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन और एमोक्सिसिलिन दोनों ही 8.1 और 1.2 फीसदी नमूनों में थे। इनमें 1.7 और 1.2 प्रतिशत नमूने सहिष्णुता सीमा को पार कर रहे थे।
हालांकि, स्वास्थ्य जोखिम मूल्यांकन से पता चला है कि दूध के माध्यम से एंटीबायोटिक दवाओं का अनुमानित दैनिक सेवन स्वीकार्य दैनिक सेवन से कम था। विशेषज्ञों ने टिप्पणी की है कि बच्चों के लिए तो निर्धारित दैनिक सेवन स्वीकार्य (एडीआई) सीमा 9 से 21 प्रतिशत से कम रखने की जरूरत है। खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए अच्छी पशुपालन प्रथाओं को अपनाने और एंटीबायोटिक दवाओं की सतर्क निगरानी की जरूरत भी जताई गई।