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भारत के 31 अमेरिकी प्रीडेटर खरीदने से दहशत में पाकिस्‍तान, चीन से लेगा CH-4 ड्रोन और घातक मिसाइलें

By Sushama Chauhan

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डेस्क: पीएम मोदी की यात्रा के दौरान अमेरिका के साथ प्रीडेटर ड्रोन को लेकर बड़ी डील के बाद पाकिस्‍तान दशहत में आ गया है। अब पाकिस्‍तान ने इसकी काट की तलाश शुरू कर दी है। पाकिस्‍तान की यह तलाश उसे केवल चीन तक ले जा रही है जो सीएच-4 मानवरहित ड्रोन सिस्‍टम का इस्‍तेमाल करता है। पाकिस्‍तान के पास पहले से ही 3 सीएच- 4 ड्रोन मौजूद है। चीन का यह ड्रोन ठीक वही काम करने के लिए बनाया गया है जो अमेरिकी ड्रोन करता है लेकिन सूत्रों के मुताबिक यह तकनीकी गड़बड़ी से जूझ रहा है। पाकिस्‍तान यह खरीददारी तब कर रहा है जब देश भयानक आर्थिक संकट से जूझ रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक इस गड़बड़ी के बाद भी पाकिस्‍तान चीन से अब 4 और ऐसे ड्रोन खरीदना चाहता है। यही नहीं पाकिस्‍तान ने चीन से कहा है कि वह सीएच 4 ड्रोन के लिए हथियारों की भी सप्‍लाइ करे। पाकिस्‍तान की नौसेना ने चीन से कहा है कि वह 8 एआर 1 मिसाइलें दे जिसे सीएच 4 ड्रोन में फिट किया जा सके। यह पूरी डील 17 लाख डॉलर की बताई जा रही है। इस मिसाइल की अधिकतम रेंज 10 किमी है और इसे बेहद ऊंचाई से दागा जा सकता है। इस मिसाइल के जरिए सैनिकों के समूह, टैंक या छोटे युद्धपोत पर हमला किया जा सकता है।

पाकिस्‍तान की नौसेना इस मिसाइल को खरीद रही है, ऐसे में उसका स्‍वाभाविक लक्ष्‍य भारतीय युद्धपोत होंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक यह मिसाइल अमेरिका की हेलफायर मिसाइल की तरह से जिसकी मदद से हवा से जमीनी हमला किया जा सकता है। चीन की कंपनी सीएएससी इस सीएच-4 ड्रोन को बनाती है। पाकिस्‍तान ने जुलाई 2022 में 3 सीएच-4 ड्रोन खरीदे थे और अब वह 4 और खरीदना चाहता है। अभी सऊदी अरब और इराक के पास चीनी ड्रोन मौजूद है। उनका मुख्‍य शिकार आईएसआईएस है।

भारत और अमेरिका ने 31 प्रीडेटर ड्रोन के लिए समझौता किया था। इसमें 8-8 ड्रोन भारतीय सेना और वायुसेना के पास जाएंगे और बाकी बचे 15 ड्रोन भारतीय नौसेना को मिलेंगे। भारतीय नौसेना ने इससे पहले 2 ड्रोन लीज पर लिया था और उनके प्रदर्शन से वह काफी खुश है। इन ड्रोन का इस्‍तेमाल निगरानी और ऑपरेशन के लिए किया जाता है। भारत इन ड्रोन की मदद से न केवल पाकिस्‍तान बल्कि चीन की हर हरकत पर नजर रख सकता है। फिर चाहे वह हिंद महासागर में चीनी युद्धपोत और सबमरीन हों या फिर सीमा पर चीनी सैनिकों की हलचल। यही वजह है कि चीन भी इस डील से बौखलाया हुआ है।

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