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हिंदू पक्ष की इन दलीलों पर कोर्ट ने दी ज्ञानवापी के सर्वे को मंजूरी, देखिए मुस्लिम पक्ष के जवाब

By Sushama Chauhan

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Summary

डेस्क: पूरे ज्ञानवापी परिसर का एएसआई से सर्वे कराने का रास्‍ता साफ होने में हिंदू पक्ष की दलीलें ज्‍यादा प्रभावकारी साबित हुईं। अदालत ने माना है कि ज्ञानवापी की वास्‍तविकता को सामने लाने के लिए एएसआई से सर्वे कराया जाना जरूरी है। सर्वे होने पर यह साफ हो जाएगा कि ...

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डेस्क: पूरे ज्ञानवापी परिसर का एएसआई से सर्वे कराने का रास्‍ता साफ होने में हिंदू पक्ष की दलीलें ज्‍यादा प्रभावकारी साबित हुईं। अदालत ने माना है कि ज्ञानवापी की वास्‍तविकता को सामने लाने के लिए एएसआई से सर्वे कराया जाना जरूरी है। सर्वे होने पर यह साफ हो जाएगा कि ज्ञानवापी मस्जिद का ढांचा मूल है या किसी मंदिर को हटाकर बनाया गया। जिला जज की अदालत में शृंगार गौरी केस की वादी पांच में से चार महिलाओं रेखा पाठक, मंजू व्‍यास, लक्ष्‍मी देवी और सीता साहू की तरफ सर्वे करवाने की दी गई अर्जी पर अधिवक्‍ता हरिशंकर जैन और विष्‍णु जैन के साथ स्‍थानीय अधिवक्‍ताओं की टीम ने पक्ष रखा।

अधिवक्‍ताओं ने कहा कि सिविल जज के आदेश पर बीते हुए साल हुए सर्वे में ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर प्राचीन मंदिर के साक्ष्‍यों को देखते हुए रेडार तकनीक या अन्‍य किसी वैज्ञानिक पद्धति से यह पता लगाया जाना जरूरी है कि वहां आदिविश्‍वेवर का मंदिर था या नहीं। वहीं, शृंगार गौरी केस की मुख्‍य वादी राखी सिंह की ओर से अधिवक्‍ता मान बहादुर सिंह ने बहस की। ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी की ओर से अधिवक्‍ता रईस अहमद, एखलाक अहमद और मुमताज अहमद ने हिंदू पक्ष की अर्जी का विरोध किया था।

हिंदू पक्ष के मुख्‍य बिंदु
– ज्ञानवापी आदिविश्‍वेश्‍वर का मूल स्‍थान है। बीते साल मई महीने में हुए सर्वे में मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर मिले निशान और अवशेषों से साफ है कि यह मंदिर की दीवार है। मस्जिद के गुंबद के नीचे भी मंदिर के प्रमाण मिले।

-ओरल एवीडेंस के आधार पर कोई पक्ष नहीं रखा जा सकता, इसलिए सर्वे अनिवार्य है। स्‍वयंभू आदिविश्‍वेश्‍वर मंदिर को लेकर बताने वाला कोई जिंदा नहीं है, लेकिन इतिहास बहुत कुछ कह रहा है। सर्वे से आदि विश्‍वेश्‍वर मंदिर की वास्‍तविकता सामने आएगी।

-ज्ञानवापी के पूरे परिसर का सर्वे होने पर वैज्ञानिक तथ्‍यों के आधार पर ज्ञानवापी को लेकर उपजे तनाव का सौहार्दपूर्ण समाधान हो जाएगा। मुस्लिम पक्ष को भी इस पर तैयार होना चाहिए। वैज्ञानिक तरीकों से सर्वे से वर्तमान ढांचे को किसी भी तरह की क्षति नहीं होगी।

 वैज्ञानिक पद्धति से जांच में किसी संरचान के निर्माण की शैली से उसके सदियों पुराने होने का आकलन कर पुरातत्‍व विशेषज्ञ स्‍पष्‍ट और प्रमाणित कर देते हैं कि उस संरचना का कौन कालखंड क्‍या है। ज्ञानवापी परिसर में किस काल खंड में कौनसी संरचना से मंदिर बना था या फिर मस्जिद, यह भी एएसआई सवेक्षण से पता चल जाएगा।

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मुस्लिम पक्ष की दलील
– ज्ञानवापी में पहले से मस्जिद थी। मस्जिद को किसी धार्मिक स्‍थल के स्‍थान पर नहीं बनाया गया है।

– ज्ञानवापी को लेकर हिंदू-मुस्लिम में द्वेष फैलाया जा रहा है। मुगल शासकों को आक्रमणकारी कहना गलत है।

ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे साबित हो सके कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। सुनी-सुनाई बातों के आधार पर पूरे परिसर का सर्वेक्षण कराने का कोई औचित्‍य नहीं है।

– सिविल जज के आदेश पर बीते साल हुए सर्वे की रिपोर्ट के डिस्‍पोजल के बिना दूसरी बार सर्वे कराना कानूनन गलत है।

– सुप्रीम कोर्ट ने वजूखाने को सील करने के साथ कार्बन डेटिंग पर रोक लगा रखी है। ऐसे में सर्वे कराना सुप्रीम कोर्ट की अवमानना होगी।

Sushama Chauhan

सुषमा चौहान, हिमाचल प्रदेश के विभिन्न प्रिंट,ईलेक्ट्रोनिक सहित सोशल मीडिया पर सक्रीय है! विभिन्न संस्थानों के साथ सुषमा चौहान "अखण्ड भारत" सोशल मीडिया पर मोजूदा वक्त में सक्रियता निभा रही है !