Shillai News: एनजीटी की टीम आने से लोगो को फायदा होगा, NGT लोगों के नुक्सान को मद्दे नज़र रखते हुए मुआवजे के लिए कंपनी पर लगा सकती है जुर्माना!
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21 मार्च को एनजीटी की टीम एनएच-707 का परीक्षण करेगी। क्योंकि बीते दिनों याचिकाकर्ता (Naathu Ram) द्वारा लगाए गए आरोपों की सत्यता का पता लगाने के लिए चौड़ीकरण किए जा रहे पांवटा साहिब-शिलाई-गुम्मा राष्ट्रीय राजमार्ग के स्थल पर निरीक्षण के लिए एक समिति भी गठित की थी।
राष्ट्रीय राजमार्ग 707 के कार्य की कुछ तस्वीरें नीचे दी गई है
फेज 2 और फेज 3 के कार्य क्षेत्र में सबसे खराब सामग्री का इस्तेमाल किया गया है, दीवारों की नींव नहीं बनाई गई है, पहाड़ों की कटिंग करने के लिए ब्लास्टिंग का उपयोग किया गया है जिससे भूस्खलन का खतरा अत्याधिक बढ़ गया है।
आधी से ज्यादा दीवारें घटिया काम की वजह से गिर गई है।
मोर्थ की लापरवाही की वजह से कार्य पिछले 1 साल से लम्बित पड़ा है जिसकी वजह से सड़क की हालत खराब हो गई है जिससे सरकार के पैसे का दुरुपयोग/नुकसान होता नजर आ रहा है।
जब फेज 2 और फेज 3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारी मोर्थ के साथ टेबल के नीचे वाली सेटिंग है जिसकी वजह से कोई भी अधिकारी या विभाग हम पर कार्रवाई नहीं करेगा।
इसलिए यहां जो भी आए हम अपने लेवल पर ही कार्य करेंगे हमें किसी का भय नहीं है हम (फेज 2 और फेज 3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर) अपनी मर्जी से ही कार्य करेंगे।
पहले हुई थी शिकायत
एनजीटी ने 6 फरवरी को अपने आदेश में याचिकाकर्ता (Naathu Ram) द्वारा लगाए गए आरोपों की सत्यता का पता लगाने के लिए चौड़ीकरण किए जा रहे पांवटा साहिब-शिलाई-गुम्मा राष्ट्रीय राजमार्ग के स्थल पर निरीक्षण के लिए एक समिति भी गठित की थी।
वनस्पति नदियों और झरनों को हो रहा काफी नुकसान
आम आदमी पार्टी नेता नाथू राम ने याचिका में आरोप लगाया है कि हाईवे के चौड़ीकरण के दौरान ठेकेदार हिमालय की पारिस्थितिकी और प्राकृतिक वनस्पति को नष्ट कर रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया है कि 103.55 किलोमीटर लंबे राजमार्ग के नीचे की ढलान पर पूरा पहाड़ी क्षेत्र जिसमें प्राकृतिक वनस्पति, नदियाँ, झरने, बस्तियाँ और वन्य जीवन शामिल हैं, नष्ट हो रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि बड़ी संख्या में चीड़, देवदार और अन्य पेड़ नष्ट हो गए हैं और कई छोटी और बड़ी जल धाराएँ या तो मलबे से ढक गई हैं या उन्होंने अपना रास्ता बदल लिया है।
समिति को याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों पर एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। सिरमौर और शिमला जिले के मध्य एनएच-707 में करीब 1500 करोड़ रुपये की लागत से सड़क को चौड़ा किया जा रहा है। समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के सदस्य सचिव, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, चंडीगढ़ के क्षेत्रीय अधिकारी; हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव; और सिरमौर और शिमला के उपायुक्त शामिल रहेंगे।