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Nahan : शक्तिपीठ मां कालीस्थान मंदिर में पहले नवरात्र पर उमड़ी भीड़, दर्शन के लिए लगी लंबी कतारे 

By Sandhya Kashyap

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Nahan स्थित शक्तिपीठ प्राचीन मंदिर श्री कालीस्थान मंदिर में चैत्र के पहले नवरात्र पर माता के दर्शन के लिए भक्तो के भीड़ उमड़ी।  माता के दर्शन के लिए भक्तो ने लंबी कतारों में खड़े होकर माता के दर्शन के किये।   Nahan शक्तिपीठ मां कालीस्थान मंदिर के कपाट सुबह 4 बजे खुल जाते ...

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Nahan स्थित शक्तिपीठ प्राचीन मंदिर श्री कालीस्थान मंदिर में चैत्र के पहले नवरात्र पर माता के दर्शन के लिए भक्तो के भीड़ उमड़ी।  माता के दर्शन के लिए भक्तो ने लंबी कतारों में खड़े होकर माता के दर्शन के किये।  

Nahan : शक्तिपीठ मां कालीस्थान मंदिर में पहले नवरात्र पर उमड़ी भीड़, दर्शन के लिए लगी लंबी कतारे 

Nahan शक्तिपीठ मां कालीस्थान मंदिर के कपाट सुबह 4 बजे खुल जाते है। जिसके बाद मंदिर में भक्त मातारानी के दर्शनों के लिए आना शुरू हो जाते है। शक्तिपीठ मां कालीस्थान मंदिर Nahan का एक प्राचीन मंदिर है और एक शक्तिपीठ भी है।  नवरात्रों में यहां सुबह शाम लंबी लम्बी कतारों में भक्त दर्शन करते नजर आते है।  

सिरमौर के सुप्रसिद्ध शक्तिपीठ मां कालीस्थान मंदिर में हिमाचल ही नहीं हरियाणा से भी लोग दर्शन करने आते है। मान्यता है कि कालीस्थान मंदिर में स्वयं माँ काली का वास है। यह शक्तिपीठ बहुत प्राचीन है और इस मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।  
शक्तिपीठ मां कालीस्थान मंदिर Nahan में  नवरात्रों के दिनों में दूर-दराज क्षेत्र से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह से नि शुल्क जलपान आदि की व्यवस्था भी की जाती है। शक्तिपीठ मां कालीस्थान मंदिर Nahan में 22 अप्रैल को भंडारा आयोजित किया जायेगा।  

शक्तिपीठ मां कालीस्थान मंदिर का इतिहास 

शक्तिपीठ मां कालीस्थान मंदिर Nahan रियासत काल में राजा विजय प्रकाश के शासन में काली स्थान शक्तिपीठ की स्थापना हुई थी। कहते हैं कि राजा का विवाह गढ़वाल के कुमाऊं में हुआ था। कुमाऊं वाली रानी मां काली की अनन्य भक्त थीं। वह दिन-रात मां की आराधना में लीन रहती थीं। विवाह के बाद रानी अपने साथ मां काली की प्रतिमा भी लाई थीं। 

बताते हैं कि राजमहल में भी मां काली का असर रानी पर राज परिवार के सदस्यों ने अक्सर देखा था। राजमहल में रानी के भीतर मां काली ने अपना रूप कई बार दिखाया, जिसके बाद राज परिवार ने मां काली की पिंडी स्वरूप स्थापना अपने पुरोहितों व राजगुरु से मंत्रणा कर की थी। 

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आज जहां यह शक्तिपीठ है, वहां शहर आबाद हो चुका है लेकिन रियासत काल में इस मंदिर के आसपास घना जंगल था और शहर के लोग पूजा-अर्चना के लिए अकेले न जाकर समूह में जाते थे क्योंकि जंगली जानवरों के हमले का अंदेशा रहता था। रियासत काल में समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ। 80 के दशक में स्थानीय लोगों ने आपसी सहयोग से मंदिर का कायाकल्प किया। इस शक्तिपीठ में भक्तों की मुरादें शीश झुकाते ही क्षण भर में पूरी होती हैं। 

योगी किशोरी नाथ जी महाराज बने सिरमौर रियासत के 11वें राजगुरु

Nahan : शक्तिपीठ मां कालीस्थान मंदिर में पहले नवरात्र पर उमड़ी भीड़, दर्शन के लिए लगी लंबी कतारे 
Mahant Kishori Nath Ji

योगी किशोरी नाथ जी महाराज को सिरमौर रियासत का 11वां राजगुरु नियुक्त किया गया है। ऐतिहासिक शहर Nahan के काली स्थान मंदिर में आयोजित समारोह के दौरान नाथ संप्रदाय के अध्यक्ष व राजस्थान के अलवर से सांसद बाबा बालक नाथ जी महाराज ने इस कार्यक्रम में विशेष रूप से मौजूद रहे थे।

उल्लेखनीय है कि महंत बाबा बालक नाथ ने बताया कि कोरोना के दौरान सिरमौर के  राजगुरु कृष्ण नाथ जी महाराज का निधन हो गया था और अब राजगुरु योगी किशोरी नाथ जी महाराज राजगुरु नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि परंपरा अनुसार नए राजगुरु योगी किशोरीनाथ को चादर अभिषेक कर उन्हें दायित्व सौंपा गया है और इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से साधु संत और महंत इस कार्यक्रम में पहुंचे थे। 

गौर हो कि यदुवंश भाटी शाखा के  1006 साल पहले से यह परंपरा चली आ रही है जिसे आज भी निभाया जा रहा है। 

शक्तिपीठ मां कालीस्थान मंदिर में मिलता है हाइजीन माता का प्रसाद

Nahan के प्रमुख शक्तिपीठ मां कालीस्थान मंदिर में अब हाइजीन यानी पूरी तरह से सुरक्षित माता का प्रसाद निशुल्क दिया जाता है। मिश्री के इस प्रसाद को लेकर मां के एक अनजान श्रद्धालुओं के द्वारा गुप्त रूप से प्रसाद पैकिंग की मशीन भेंट की गई थी । मशीन की कीमत करीब पौने दो लाख आंकी गई है।

Nahan : शक्तिपीठ मां कालीस्थान मंदिर में पहले नवरात्र पर उमड़ी भीड़, दर्शन के लिए लगी लंबी कतारे 

इस मशीन का संचालन श्री कालीस्थान मंदिर प्रबंधन समिति Nahan के द्वारा किया जाता है।  बड़ी बात तो यह है कि यह मशीन 1 घंटे में 5 हज़ार प्रसाद की पैकेट तैयार करती है। इस प्रसाद का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बंद पैकेट में होने के कारण यह अति शुद्ध माना गया है। यही नहीं खुले प्रसाद को भेंट करने पर जहां भोग का अनादर होता था।

मशीन का रॉ मैटेरियल मंदिर समिति के द्वारा वहन किया जाता है। और माथा टेकने के पश्चात पुजारी के द्वारा फल-फूल के साथ विशेष रूप से अभिमंत्रित मां का मुख्य प्रसाद बंद पैकेट में निशुल्क दिया जाता है। इन सभी बेहतर इंतजामों को लेकर बनाई गई प्रबंधन समिति बगैर किसी निजी हितों के काम करती है।