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मुंबई: रायगढ़ जैसे लैंडस्लाइड का खतरा! अवैध निर्माण से खिसक रहीं पहाड़ियां, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

By Sushama Chauhan

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डेस्क: महानगर में बारिश के दौरान लैंडस्लाइड की घटना हर साल सामने आती है। बड़े पैमाने पर जन-धन की हानि होती है। कई लोग घायल होते हैं और कइयों की जान चली जाती है। लैंडस्लाइड की समस्या से निपटने के लिए बीएमसी व अन्य एजेंसियां पिछले कई साल से प्रयास कर रही हैं, लेकिन अब तक पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में चेंबूर, भांडुप, मालाड, विक्रोली, घाटकोपर, अंधेरी, वडाला सहित मुंबई के अन्य हिस्सों में लैंडस्लाइड की घटना सामने आई है। इन घटनाओं को रोकने के लिए बीएमसी, म्हाडा और पीडब्ल्यूडी विभाग के जरिए सुरक्षा दीवार बनवाने का काम कर रही है। हालांकि, पिछली कुछ घटनाओं के बाद बीएमसी ने जब सर्वे किया, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। सर्वे में यह बात सामने आई कि मुंबई में भूस्खलन इसलिए हो रहा है, क्योंकि पहाड़ी इलाकों में रहने वाले नागरिकों ने पहाड़ियों पर जल निकासी के होल और नालियों को अवैध निर्माण कर बंद कर दिया था।

साथ ही, सुरक्षा दीवार से सटा कर अवैध निर्माण किया गया था। इससे बारिश के दौरान सुरक्षा दीवार के पास जलजमाव हुआ और पहाड़ी के दबाव के कारण लैंडस्लाइड हो गया। लैंडस्लाइड के दौरान मिट्टी और पत्थर के साथ पेड़ भी गिरे, जिससे काफी नुकसान हुआ। कुछ साल पहले चेंबूर और विक्रोली में लैंडस्लाइड की घटना में उक्त वजहें स्पष्ट हुईं। इसीलिए लोगों को पहाड़ियों की ढलान पर जल निकासी के होल और नालियों को भरने से बचने की अपील लगातार की जाती रही हैं।

नागरिकों को सतर्क रहने की जरूरत
बीएमसी के अतिरिक्ति आयुक्त सुधाकर शिंदे ने कहा कि बीएमसी ने ऐहतियाती कदम तो उठाए हैं, लेकिन ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नागरिकों को सतर्क रहने की जरूरत है। आईआईटी मुंबई ने वर्ष 2014-15 में मुंबई के पहाड़ी क्षेत्रों का अध्ययन किया था, जहां पहाड़ी खिसकने की आशंका है। वहीं, बीएमसी ने जिऑलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के जरिए 74 ऐसे खतरनाक स्थानों का सर्वे किया था। उसमें से 45 स्थानों पर तत्काल सुरक्षा उपाय करने की सिफारिश की गई थी। इसके बाद वर्ष 2017 में भूस्खलन की घटना के बाद भविष्य में भूस्खलन जैसी घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ बीएमसी की गई थी। एक सर्वेक्षण भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की पहचान की गई। क्षेत्रों को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया था: खतरनाक, मध्यम स्तर का खतरनाक, कम खतरनाक और गैर-खतरनाक क्षेत्र।

सुरक्षा दीवारों का निर्माण किया जा रहा
बीएमसी अधिकारी के अनुसार बारिश से पहले सर्वे कर पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों को कहीं और जाने की नोटिस वॉर्ड द्वारा दी जाती है, लेकिन लोग कहीं जाने को तैयार नहीं होते। ऐसे में, इलाके से लोगों को शिफ्ट करना महंगा और संभव नहीं है। हालांकि, सुरक्षा दीवारों का निर्माण म्हाडा और पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा किया जा रहा है। 9 मीटर ऊंचाई तक की दीवारों का निर्माण म्हाडा द्वारा किया जा रहा है और 9 मीटर से अधिक ऊंचाई पर पीडब्ल्यूडी सुरक्षा दीवारों का निर्माण करता है। आईआईटी ने सर्वे के बाद लैंडस्लाइड जैसी घटनाओं से बचने के लिए उपाय बताए थे। इसमें पहला उपाय पहाड़ियों की ढलान पर सुरक्षा दीवारों का निर्माण और दूसरा पहाड़ी इलाकों के नीचे से लोगों को निकालना है।

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तीसरा पहाड़ी इलाकों से बारिश के पानी को निकालने के लिए छोटे-छोटे नालों या खाइयों जैसी जल निकासी लाइनें बिछाना और चौथा उपाय बारिश के दौरान मिट्टी को खिसकने से रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के पेड़ लगाना है। साथ ही, पेड़ों की नियमित रूप से छंटाई करने का भी सुझाव है, ताकि वे घरों पर न गिरें। मुंबई में वर्ष 1992 से 2023 के बीच लैंडस्लाइड हादसे में 310 लोगों की मौत हुई और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए।

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70 पर्सेंट पूरा हुआ सुरक्षा दीवार का काम
मुंबई में 700 स्थानों पर सुरक्षा दीवार बनने का काम किया जाना था। इसमें से अब तक 550 स्थानों पर दीवार बनाने का काम लगभग पूरा किया जा चुका है। मात्र 140 स्थानों पर सुरक्षा दीवार बनाने का काम बचा हुआ है। यह जानकारी उपनगर के जिलाधिकारी राजेंद्र भोसले ने दी। इस पर लगभग 125 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

क्या कहती है रिपोर्ट
जिला नियोजन समिति की बैठक में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया कि मुंबई में भूस्खलन वाले इलाकों में दुर्घटनाएं रोकने के लिए ऐहतियातन कई कदम उठाए गए हैं। इनमें कुछ प्रमुख कदम इस प्रकार हैं-

– वर्ष 2020-21 में 60.91 करोड़ रुपये के 234 कार्य स्वीकृत किए गए, जिनमें से 189 कार्य पूरे हो चुके हैं और 44.93 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

– वर्ष 2021-22 में 73.17 करोड़ रुपये के 251 कार्यों को मंजूरी दी गई, जिसमें से 48 कार्य पूरे कर 10.27 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

– 2022-23 के लिए 64 कार्यों को मंजूरी दी गई है और 19.79 करोड़ खर्च किए जाएंगे।

– वर्ष 2023-24 में लगभग 125 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।