मोदी सरकार ‘One Nation One Election’ नीति को लागू करने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ गई है। बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस नीति के लिए बनाई गई समिति की सिफारिशों को मंजूरी दे दी। यह समिति पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के नेतृत्व में बनाई गई थी। इस योजना के तहत लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव है। उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले संसद सत्र में इस संबंध में बिल पेश किया जा सकता है।
सितंबर 2023 में गठित इस समिति ने मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 18,000 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस रिपोर्ट पर मंत्रिमंडल में गहन चर्चा की गई है और संभावना है कि शीतकालीन सत्र में इस पर विधेयक पेश हो। हालांकि, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम जैसी विपक्षी पार्टियों ने इस योजना की आलोचना की है। उनका मानना है कि यह अमेरिकी शैली के राष्ट्रपति चुनाव प्रणाली को लागू करने की कोशिश है। क्षेत्रीय दलों को भी इस बात का डर है कि एक साथ चुनाव कराने से स्थानीय चुनावों पर राष्ट्रीय दलों का प्रभाव बढ़ेगा, जो भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियों को फायदा पहुंचा सकता है।
सरकार का कहना है कि इस नीति से चुनावी खर्चों में कमी आएगी और शासन प्रक्रिया सुचारू होगी। एक मतदाता सूची और कम चुनावी चक्रों से विकास कार्यों में बाधाएं नहीं आएंगी, क्योंकि आचार संहिता बार-बार लागू नहीं करनी पड़ेगी। इस योजना के समर्थक इसे देश की विकास गति बनाए रखने का एक तरीका मानते हैं, वहीं विपक्ष का कहना है कि यह देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर कर सकता है।