लाहौल-स्पीति : जिले के मरीजों तक दवाइयां पहुंचाना अब आसान हो गया है। ड्रोन से अब समुद्रतल से 10,000 फीट की ऊंचाई तक मरीजों को दवाइयां पहुंचाने के साथ इंजेक्शन और सैंपल भी पहुंचाने का काम होगा। जिला अस्पताल केलांग से पीएचसी ठोलंग के लिए ट्रायल किया गया। केंद्र सरकार के सहयोग से केलांग में आईसीएमआर दिल्ली, गोरखपुर और क्षेत्रीय अस्पताल केलांग की ओर से ड्रोन से ट्रायल चल रहा है।
बुधवार को केलांग से पीएचसी ठोलंग तक ड्रोन से दवाई भेजी गई और 12 किमी के सफर को सात मिनट में पूरा किया गया। बर्फबारी के दिनों में ड्रोन की तकनीक घाटी के लोगों के लिए संजीवनी साबित हो सकती है। सड़कों के अवरुद्ध हो जाने से एक गांव का दूसरे से संपर्क कट जाता है। ऐसे हालात में यह ड्रोन मरीजों के लिए बेहद मददगार साबित होगा। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) देश में पहली बार 10,500 फीट की ऊंचाई पर लाहौल के स्वास्थ्य केंद्रों में ड्रोन की मदद से दवाइयां और जरूरी वैक्सीन पहुंचाई जाएगी।
फिलहाल ड्रोन की नियमित सेवा शुरू करने से पहले केलांग में इसका ट्रायल चल रहा है। ड्रोन में जमीन से 400 फीट ऊंचाई तक उड़ने की क्षमता है। इसमें लगी बैटरी में लगभग डेढ़ घंटे का बैकअप है। आईसीएमआर को 150 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भरने की अनुमति है।
आईसीएमआर के वैज्ञानिक डाॅक्टर सुमित ने बताया कि ट्रायल कामयाब होने के बाद घाटी में सर्दियों के दौरान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मेडिसिन और वैक्सीन पहुंचाने के लिए ड्रोन की मदद ली जाएगी। 18 अक्तूबर को आईसीएमआर दिल्ली के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल इसका शुभारंभ करेंगे। इस दोरान केलांग से पीएचसी ठोलंग के लिए ड्रोन से दवाई भेजी जाएगी। इसके अलावा वहां से टीबी के सैंपल लाए जाएंगे।