शिलाई : जम्मू कश्मीर के राजौरी में आतंकी हमले में शहीद हुए प्रमोद नेगी को हजारों लोगों ने नम आंखों के साथ अंतिम विदाई दी है। प्रमोद नेगी का पार्थिव शरीर शनिवार शाम लगभग 5:00 बजे पैतृक गांव शिलाई पहुंचा। जहां हजारों लोगों के साथ स्थानीय विधायक व ऊर्जा मंत्री हर्षवर्धन चौहान, पूर्व विधायक बलदेव तोमर, एडीएम शिलाई सुरेश कुमार सिंघा, डीएसपी पावटा साहिब मानवेंद्र सिंह ठाकुर, 9 पेरा रेजीमेंट की टुकड़ी, शिलाई पुलिस की टुकड़ी, भूतपूर्व सैन्य संगठन की टुकड़ी ने अंतिम दर्शन करने के बाद श्रद्धांजलि अर्पित की है। इस दौरान प्रमोद नेगी अमर रहे के नारों से शिलाई गूंजता रहा।
शहीद प्रमोद नेगी का पार्थिव शरीर जैसे ही पैतृक गांव शिलाई पहुंचा तो अंतिम दर्शनों के लिए करीब आधा घंटा घर पर रखा गया। जहां पर परिजनों सहित ग्रामीणों ने अंतिम दर्शन किए। उसके बाद लगभग 5: 40 पर शहीद प्रमोद नेगी का पार्थिव शरीर शांति धाम पहुंचाया गया। जहां पर आर्मी, पुलिस के जवानों शहीद फौजी के पिता देवेंद्र नेगी, माता तारा देवी, फौजी भाई नितेश नेगी, बहन मनीषा सहित परिजनों ने श्रद्धांजलि अर्पित की । इससे पहले पाकिस्तान मुर्दाबाद, हिंदुस्तान जिंदाबाद सहित प्रमोद शहीद अमर रहे के नारों से शांति धाम गूंजता रहा। प्रमोद नेगी के पार्थिव शरीर जैसे ही घर पहुंचा तो दूल्हे की तरह फूल मालाओं के साथ तिरंगे में सजाया गया और शहीद प्रमोद नेगी को हजारों लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी है। शहीद प्रमोद नेगी को छोटे भाई नितेश नेगी ने मुखाग्नि देकर अंतिम विदाई दी है।
25 वर्ष की छोटी उम्र में शहीद हुए जवान प्रमोद नेगी को खोने का दर्द परिजनों को है। वहीं परिजनों, गांव वासियों सहित क्षेत्र वासियों की नम आँखे देश के लिए प्रमोद नेगी की शहादत पर गर्व महसूस कर रहे है।
शहीद प्रमोद नेगी की माता तारा देवी असहनीय दर्द बयां करते हुए बताया कि वह अपने बेटे को शिक्षक बनाना चाहते थे, लेकिन प्रमोद नेगी को बचपन से ही देश की सेवा करने का शौक था। जिसको बेटे ने बखूबी पूरा किया। प्रमोद नेगी की देश सेवा और देश के प्रति समर्पण होने के चलते छोटे भाई नितेश नेगी को भी देश सेवा करने की प्रेरणा मिली और दोनो भाइयों ने देश सेवा करने का संकल्प लिया। जिसके बाद वर्ष 2017 में प्रमोद नेगी 9 पैरा रेजीमेंट टुकड़ी का हिस्सा बने तो वही वर्ष 2018 ने छोटे भाई नितेश नेगी ने आर्मर्ड पंजाब रेजीमेंट को ज्वाइन किया है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि शहीद हुए प्रमोद नेगी अपनी बड़ी बहन मनीषा नेगी की शादी को लेकर अत्यधिक चिंतित थे। अपनी शादी को लेकर भी वर्ष 2026 तक लक्ष्य रखा था। माता, पिता सहित परिजनों के सपनों को पूर्ण करने के लिए घर में भवन निर्माण कार्य शुरू किया था। ग्रामीणों ने बताया की भले ही अपने सपनो को शहीद प्रमोद नेगी पूर्ण नही कर पाएं है। सभी सपने अधर में लटक गए, लेकिन देश के पति शहादत देने के बाद गांव व क्षेत्र का नाम रोशन किया है। ग्रामीणों की नजर में शहीद प्रमोद नेगी अमर ही रहेंगे।