HomeOnline Quizस्वास्थ्यशिक्षा/नौकरीराजनीतिसंपादकीयबायोग्राफीखेल-कूदमनोरंजनराशिफल/ज्योतिषआर्थिकसाहित्यदेश/विदेश

----

नेताजी सुभाष चंद्र बोस को राजनीति से दूर रखना चाहते थे महात्मा गांधी: अनीता बोस

By Kanwar Thakur

Verified

Published on:

Follow Us

सुभाष चंद्र बोस नहीं चाहते थे देश का बटवारा

अखण्ड भारत टीम/दिल्ली:- जर्मनी में रहने वाली नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनीता बोस ने मिडिया से बातचीत में कहा है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी उनके पिता को राजनीति से दूर करना चाहते थे। उन्होंने कहा, भारत कि आजादी के समय ‘मेरे पिता यदि जीवित होते तो देश के विभाजन को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करते।’ इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा लगाने को स्वागत योग्य कदम बताया है।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस को राजनीति से दूर रखना चाहते थे महात्मा गांधी: अनीता बोस
अनीता बोस, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की बेटी

अनीता बोस बताया कि उस समय की सरकार को ऐसा लगा कि भारत को जो आजादी मिली है वो अहिंसा की वजह से मिली है, लेकिन कई दशक बाद दस्तावेजों के आधार पर पता चला कि भारत की आजादी में आजाद हिंद फौज की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उहोने नाराजगी जाहिर करते हुए बताया कि सरकार ने कुछ तथ्य छिपाए हैं। सरकार ने सांप्रदायिक दंगों और झगड़ों पर कुछ नहीं कहा और ना ही कोई ठोस कदम उठाए। ऐसे मामलों पर ना बोलना सरकार व देशहित में नहीं है। आज इसे दूसरी नजर से देखा जा रहा है यह बड़ी खुशी की बात है, आजादी सात दशक बाद अब नेताजी के आदर्शों व मूल्यों को पहचान मिल रही है। इससे देश में एक अच्छा संदेश जाएगा। देश में गरीबी व निरक्षरता को दूर करने की ज़रूरत है। प्लेन क्रैश की घटना के चश्मदीद के साक्षात्कार से पता चला कि 18 अगस्त 1945 को यह घटना हुई थी। उसी दौरान दूसरा विश्वयुद्ध भी समाप्त हुआ था। इस घटना से जुड़े दस्तावेजों को लंबे समय तक छिपा कर रखा गया, ताकि कोई जानकारी ना मिल सके। मौजूदा सरकार के समय 37 फाइलें सरकार ने सार्वजनिक की गई हैं।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस को राजनीति से दूर रखना चाहते थे महात्मा गांधी: अनीता बोस

 1930 में सुभाष चंद्र बोस को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन गांधीजी ऐसा नहीं चाहते थे। वो नेता जी को राजनीति से दूर करना चाहते थे। उस समय जो कांग्रेस अध्यक्ष होता था, वो राष्ट्रपति के बराबर माना जाता था। भारत सरकार के कानून अनुसार उसे राष्ट्रपति के बराबर का दर्जा होता था। 1946 में कांग्रेस के नेतृत्व ने गांधीजी को निराश किया। नेताजी देश के विभाजन के खिलाफ थे। यदि तब वह 1947 में जीवित होते तो गांधीजी से मतभेद के बाद भी वे देश का विभाजन कभी स्वीकार नहीं करते।

उन्होंने बताया कि सुभाषचन्द्र एक हिन्दू नेता थे लैकिन एक धर्म को बढावा देना दूसरे धर्म को निचा दिखाना यह असहनीय है उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी का संचालन भी किया जिसमे सभी धर्मों के लोग जुड़े थे, आजादी के बाद इंडियन नेशनल आर्मी के साथ भेदभाव किया गया, इंडियन आर्मी में केवल उन लोगों को शामिल किया गया जिन्होंने पहले ब्रिटिश सरकार में रहकर भारतियों पर जुल्म ढाए थे, आईएनए के किसी सदस्य को भारतीय सेना में जगह नही दी गई

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
नेताजी सुभाष चंद्र बोस को राजनीति से दूर रखना चाहते थे महात्मा गांधी: अनीता बोस

उन्होंने भारत सरकार इंडिया गेट पर नेता जी की प्रतिमा को लगाये जाने पर खुशी जाहिर की है। सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। एक स्वतंत्रता सेनानी की प्रतिमा लंबे समय बाद वहां लगाई गई है। अभी तो ये प्रतिमा होलोग्राम की है। आगे वास्तविक प्रतिमा कैसी होगी, ये बाद में पता लगेगा। उन्होंने कहा कि कभी कोई और पार्टी नहीं चाहती थी। मूर्ति का विरोध करने वालो कौन्होने बताया कि प्रतिमा लगने वाली जगह हमेशा खाली रहे तो उसका कोई विकल्प नहीं है। उन्हें जो भी महान व्यक्ति इस स्थान के लिए उपयुक्त लगे, उसकी प्रतिमा लगा दी जाए। नेताजी के अलावा गांधीजी की प्रतिमा भी लगाई जा सकती है।

--advertisement--