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महाराष्ट्र: सती प्रथा बंद करने वाला राजा औरंगजेब, शरद पवार की मौजूदगी में मराठी इतिहासकार के विवादित बोल

By Sushama Chauhan

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डेस्क: महाराष्ट्र की सियासत से मुगल बादशाह औरंगजेब का नाम और उससे जुड़े हुए विवाद ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला भी औरंगजेब से जुड़ा हुआ है। इस बार पद्मश्री से सम्मानित लेखक भालचंद्र नेमाड़े ने पंडितों को लेकर विवादित बयान दिया है। साथ ही उन्होंने औरंगजेब को देश से सती प्रथा हटाने वाला पहला राजा भी बताया है। भालचंद्र नेमाड़े ने मंच से बोलते हुए कहा कि जब औरंगेजब की दो रानियां काशी मंदिर में गईं तो वहां के हिंदू पुजारियों ने उन्हें तहखाने में ले जाकर भ्रष्ट कर दिया। जब औरंगजेब को इस बारे में पता चला, तो उसने काशी विश्वेश्वर में तोड़फोड़ की। उन्होंने यह भी दावा किया कि बाजीराव द्वितीय को छोड़कर बाकी पेशवा न केवल दुष्ट थे, बल्कि नीच भी थे। मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय के शताब्दी रजत जयंती का समापन समारोह के मौके पर नेमाड़े ने यह बात कही।

इस कार्यक्रम में ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता लेखक भालचंद्र नेमाड़े ने सनसनीखेज और विवादास्पद बयानों की झड़ी लगा दी। उन्होंने औरंगजेब, ज्ञानवापी मस्जिद जैसे मुद्दों को छूते हुए वास्तविक इतिहास पढ़ने की भी सलाह दी। ख़ास बात यह है कि इस दौरान मंच पर खुद एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार भी मौजूद थे।

औरंगजेब की रानियों को हिंदू पुजारियों भ्रष्ट कर दिया
भालचंद्र नेमाड़े ने कहा कि उस समय कई मुस्लिम राजाओं की रानियां हिंदू थीं। तब हिंदू और मुसलमानों में ज्यादा अंतर नहीं था। शाहजहां की मां एक हिंदू थी। औरंगजेब की दो हिंदू रानियां थीं। जब वह काशी विश्वेश्वर के दर्शन करने गईं उसके बाद वे कभी वापस नहीं आईं। जब छावनी के लोगों ने यह बात औरंगजेब को बताई। इस बात की जांच पड़ताल करते हुए लोग काशी विश्वेश्वर तो पता चला कि वहां एक तहखाना था।

वहां मंदिर के पंडित महिलाओं को ले जाकर भ्रष्ट कर देते थे। जब औरंगजेब की नजर इस पर पड़ी तो उसने इस जगह को नष्ट कर दिया। इसके अलावा, उसने ऐसे प्रवृती के कुछ लोगों की हत्या कर दी। जिससे बाद में उसे इतिहास में हिंदुओं से नफरत करने वाला करार दिया गया।

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पेशवा न केवल दुष्ट बल्कि नीच भी थे
भालचंद्र नेमाड़े यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि दूसरा बाजीराव एक महान व्यक्ति थे। मैंने इतिहासकार वी.सी. बेंद्रे को यह भी बताया कि उन्होंने इस देश को पेशवाओं के चंगुल से बचाया और अंग्रेजों को सौंप दिया। क्योंकि उस समय के सभी पेशवा न केवल दुष्ट थे बल्कि नीच स्वभाव के भी थे। ये नाना साहेब पेशवा…जहां भी जाते थे वहां उनका एक पत्र होता था…पंजाब में कोई गोविंद पंत बुंदेले थे। उन्हें नानासाहेब पेशवा का पत्र मिलता था कि मैं इस दिन अमुक स्थान पर आ रहा अमुक स्थान पर आ रहा हूं। आठ-दस वर्ष की दो पवित्र एवं सुन्दर कन्याएं तैयार रखना, मैंने स्वयं वह पत्र पढ़ा है।

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आखिर 40-42 साल के नानासाहेब पेशवा 8-10 साल के लड़कियों के साथ क्या कर रहे होंगे? मुझे नहीं पता कि क्या वे हर जगह ऐसे बच्चियों को तैयार रखने और उन्हें मारने आदि के लिए कह रहे थे… मेरा मतलब ऐसे थे पेशवा।