Maa Shoolini Mela : कर्नल संजय शांडिल ने संभाली मुख्य संरक्षक की भूमिका, युवाओं को नशे से दूर रखने का लिया संकल्प
सोलन, 23 जून : ऐतिहासिक Maa Shoolini Mela के पावन अवसर पर पहली बार “कुराश” (Kurash) खेल का भव्य आयोजन किया गया। यह खेल एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में खेला जाता है, और अब इसे हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में भी शामिल किया गया है — यह सब संभव हुआ कर्नल संजय शांडिल की दूरदृष्टि और अथक प्रयासों से।

एक सैनिक, जो आज भी समाज के लिए अग्रणी योद्धा
कुराश एसोसिएशन ऑफ हिमाचल (रजि.) के महासचिव वीरेंद्र सिंह धौलटा के संयोजन में हुए इस कार्यक्रम को कर्नल संजय शांडिल ने व्यक्तिगत स्तर पर साकार किया, जबकि प्रारंभ में स्थानीय प्रशासन की कोई मदद नहीं थी।

Maa Shoolini Mela : खेल को सफल बनाने हेतु कर्नल शांडिल ने अपनी माता, स्व. श्रीमती इंदिरा शांडिल जी की स्मृति में ₹32,000 की पुरस्कार राशि खिलाड़ियों को भेंट की।
उनका यह योगदान न केवल खेल को प्रोत्साहित करने के लिए था, बल्कि मातृत्व के संस्कार और स्मृति को समाज के बीच जीवंत बनाए रखने का एक भावनात्मक प्रयास भी था।
समाज के लिए सामूहिक प्रयास
लायंस क्लब सोलन ने भी आयोजन में सहयोग करते हुए ₹21,000 की राशि खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने हेतु प्रदान की।
स्वास्थ्य एवं सामाजिक न्याय मंत्री डॉ. कर्नल धनी राम शांडिल ने भी इस अभियान को समर्थन देते हुए अपनी स्वच्छता निधि से ₹1,00,000 की सहायता राशि प्रदान की।
हिमाचल के स्कूलों में नई शुरुआत: खेल से जीवन निर्माण तक
अब इस खेल को हिमाचल प्रदेश के सभी स्कूलों में शामिल किया गया है ताकि युवा वर्ग में खेल भावना को बढ़ावा दिया जा सके और उन्हें नशे जैसी बुराइयों से दूर रखा जा सके।
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कुराश एक ऐसा खेल है जो अनुशासन, शारीरिक क्षमता और मानसिक सुदृढ़ता को बढ़ाता है—ये सभी गुण आज के युवाओं के चरित्र निर्माण के लिए आवश्यक हैं।
जन-जन के प्रिय कर्नल संजय शांडिल
कर्नल संजय शांडिल ने यह सिद्ध कर दिया है कि सैनिक भले ही सेवानिवृत्त हो जाए, लेकिन उसका समाज के प्रति समर्पण कभी सेवानिवृत्त नहीं होता। वो निरंतर युवाओं, ग्रामीण समुदायों, और खेल प्रतिभाओं के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं, जिससे आज उन्हें एक प्रेरक, जनसेवी और कर्मशील नेता के रूप में देखा जा रहा है।
ये खेल सिर्फ प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि हमारी नई पीढ़ी को आत्मविश्वास, उद्देश्य और सही दिशा देने का माध्यम है।”
— कर्नल संजय शांडिल।