अयोध्या: श्रीराम-जानकी बैठे हैं मेरे सीने में। आनंद हो रहे हैं श्रीराम की कृपा से। दंडक वन से प्रभु श्रीराम आए हैं। डॉ. फिरोज खान को जब भी समय मिलता है, वह इन राम भजनों को गुनगुनाते हैं। यू कहें कि फिरोज के दिल में प्रभु श्रीराम और जानकी वास करते हैं। एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय बीएचयू में संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. फिरोज खान अपनी तीसरी पीढ़ी में भी श्रीराम की भक्ति में रमे हैं। पिता रमजान खान से रामभक्ति उन्हें विरासत में मिली है। बड़े भाई वकील अहमद भी राम भजन गाते हैं। डॉ. फिरोज ने कहा कि भगवान राम सबके आदर्श हैं। उनका व्यक्तित्व प्रेरणादायी है।
कला संकाय के संस्कृत विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. फिरोज हर दिन समय-सारिणी के अनुसार छात्रों को व्याकरण पढ़ाते हैं। पढ़ाई के दौरान कभी-कभी कुछ श्लोक होते हैं, जिनका राम से जुड़ाव होता है। जानकारी के लिए उन्हें घर में रखे वाल्मिकी रामायण का सहारा लेना पड़ता है। दस दिन पहले ही गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित रामचरितमानस को खरीद कर लाए हैं। इसमें श्लोक के साथ अर्थ भी लिखा है। रामचरित मानस के दोहों को भी पढ़ रहे हैं। एक बेटा, भाई और पति। किसी भी रूप में भगवान राम को देखा जाए तो उनका जीवन आदर्श प्रेरणादायी है।
मूलरूप से जयपुर के बागरू गांव निवासी डाॅ. फिरोज बीएचयू संस्कृत विभाग में 2019 से असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। विश्वविद्यालय में संस्कृत व्याकरण पढ़ाते हैं। संस्कृत में शास्त्री (स्नातक), आचार्य (स्नातकोत्तर) करने के साथ ही जयपुर के राष्ट्रीय संस्कृत शिक्षा संस्थान से उन्होंने अलंकार शास्त्र में पीएचडी की उपाधि भी हासिल की है। संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए उन्हें राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित अन्य लोग सम्मानित कर चुके हैं। संस्कृत के प्रति प्रेम, गो सेवा हो या रामभजन। उन्हें विरासत में ही मिला है। उनका पूरा परिवार इस कार्य में जुटा रहता है। उनके दादा और पिता ने संस्कृत की पढ़ाई की। वह खुद भी संस्कृत के प्रेमभाव को जगाए बैठे हैं। जब भी गांव जाते हैं तो गोसेवा करने के साथ ही पिता के साथ मंदिर भी जाते हैं। गांव के लोग फिरोज के पिता को मुन्ना मास्टर कहकर बुलाते हैं।
बीएचयू में सबसे पहले डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय (एसवीडीवी) में दिसंबर 2019 में साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर हुई थी। छात्रों को पता चला तो उन्होंने इसका विरोध किया। करीब 15 दिन तक विरोध प्रदर्शन भी हुआ। छात्रों ने संकाय में तालाबंदी कर कुलपति आवास पर प्रदर्शन भी किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ। विरोध के बाद डॉ. फिरोज ने एसवीडीवी छोड़ दिया और फिर कला संकाय के संस्कृत विभाग में वह बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।