Loksabha Chunav : हिमाचल में आखिरी चरण में 1 जून को होगा मतदान
Loksabha Chunav : प्रदेश के अंदर लोकसभा चुनावी रण का बिगुल बजने के बाद विभिन्न पार्टियों के नेता जनता के आसपास कई चक्कर लगाते नजर आने लगे हैं। जिनके आगे पीछे टाइट पुलिस सिक्योरिटी, खाने को काजू बादाम और चारो तरफ चाटूकारों का तांता आम जनता को कौसों दूर रखता हैं। वही खोखेले दावे, गुमराह वाली नीति के साथ सफ़ेद लिबास पहने नेता जनता के आगे-पीछे भीगी बिल्ली की तरह घूमते नजर आ रहे है और चुनाव से पहले ही अपनी जीत का डंका बजा रहे हैं।
प्रदेश के अंदर सत्तारुढ़ कांग्रेस व 25 विधायकों को लेकर विपक्ष मे बैठी भाजपा में आमने सामने की टक्कर बताई जा रही हैं। Loksabha Chunav के अंदर हिमाचल की चार सीटों में से मंडी संसदीय क्षेत्र व शिमला संसदीय क्षेत्र में कांटे का मुक़ाबला माना जा रहा हैं। पूरे प्रदेश की नजरें इन दो सीटों पर घूमती नजर आ रही है।
विनोद सुल्तानपूरी व सुरेश कश्यप के भाग्य का फ़ैसला करेगी शिमला ससंदीय क्षेत्र की जनता
Loksabha Chunav में शिमला संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के विनोद सुल्तानपूरी का मुक़ाबला भाजपा के सुरेश कश्यप से होना हैं। दोनों में इस बार काटें की टक्कर बताई जा रही है। विनोद सुल्तानपुरी के पिता केडी सुल्तानपुरी 6 बार सासंद रह चुके है इसलिए प्रदेश कांग्रेस ने राजनीति गढ़ को मजबूत करने के लिए विनोद सुल्तानपुरी को मैदान में उतारा है।
विनोद सुल्तानपुरी के लिए यहा मुश्किलें अधिक हैं लेकिन यदि प्रदेश कांग्रेस सरकार के मंत्री परिषद पर नजर डाली जाए तो शिमला संसदीय क्षेत्र से वर्तमान सरकार में चार कैबिनेट मंत्री हैं जो विनोद सुल्तानपुरी की राह आसान बना सकते हैं और भाजपा के प्रत्याशी सुरेश कश्यप को कड़ी टक्कर देने में सफल हो सकते हैं।
Loksabha Chunav 2024 में तीसरी बार भाजपा ने जताया सुरेश कश्यप पर विश्वास
सुरेश कश्यप शिमला संसदीय सीट के सांसद है और भाजपा ने दूसरी बार इन पर विश्वास जताकर प्रत्याशी बनाया है। Loksabha Chunav में भाजपा को उम्मीद हैं कि सुरेश कश्यप शिमला संसदीय क्षेत्र से जीत कर आएंगे। लेकिन सुरेश कश्यप की राह प्रदेश में कांग्रेस सरकार के चुनावी रण बांकुरों के आगे आसान नहीं हैं। भले ही सुरेश कश्यप ने पिछला चुनाव लाखों के मार्जिन से जीता हो इस बार भाजपा के लिए यहां कांग्रेस के विनोद सुल्तानपुरी टक्कर देते नजर आ रहे है।
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भारतीय सेना से लेकर केंद्रीय राजनीति तक : रोचक है सुरेश कश्यप का सफर
सुरेश कश्यप वर्ष 1988 से 2004 तक भारतीय वायु सेना में सेवारत रहे। हिमाचल प्रदेश विधानसभा 2005-2010, 2013-2017 में बीडीसी सदस्य, हिमाचल प्रदेश विधानसभा, 2013-2017 और 2018-2019, विशेषाधिकार समिति सदस्य रहे। उन्होंने पंचायत स्तर पर काम किया और 2006 में भाजपा में शामिल हो गए।
वर्ष 2006-2009 तक जिला सिरमौर भाजपा एससी मोर्चा अध्यक्ष पद पर रहे और 2009-2012 तक भाजपा राज्य महासचिव एससी मोर्चा बने रहे। वर्तमान में शिमला संसदीय लोकसभा सीट पर दूसरी बार प्रत्याशी है और अपने कुनबे को बचाने के लिए संभवत प्रयासरत हैं। Loksabha Chunav में भाजपा की कार्यशैली सुरेश कश्यप के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।
मंडी संसदीय सीट पर कंगना रणौत का सामना विक्रमादित्य सिंह से होगा
Loksabha Chunav के मध्यनजर मंडी लोकसभा संसदीय क्षेत्र में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के सुपुत्र विक्रमादित्य सिंह कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी है और मंडी लोकसभा संसदीय सीट कांग्रेस की पुश्तैनी सीट मानी जाती हैं। वीरभद्र सिंह का निधन होने के बाद मंडी सीट से विक्रमादित्य सिंह की माता प्रतिभा सिंह ने हजारों वोट के अंतराल में जीत का परचम लहराया था और इस बार पुत्र ने मंडी संसदीय सीट की कमान संभाली हैं।
विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण से दूसरे बार कांग्रेस के विधायक चुने गए है और प्रदेश सरकार के अंदर प्रदेश लोक निर्माण मंत्री है। हिमाचल कांग्रेस विक्रमादित्य सिंह को मजबूत और जिताऊ उम्मीदवार मान रही हैं। मंडी लोकसभा ससंदीय क्षेत्र में कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह का मुक़ाबला भाजपा प्रत्याशी कंगना रणौत से होने वाला हैं दोनों में कांटे की टक्कर देखी जा रही है।
कंगना रणौत की सादगी, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, कर्मठता जिताएगी भाजपा की मंडी सीट
कंगना रणौत प्रदेश भाजपा से मंडी लोकसभा सीट की प्रत्याशी हैं। भले ही कंगना का जन्म स्थानीय हैं लेकिन कंगना की सफलता के पीछे बॉलीवुड की कड़ी मेहनत बताई जा रही हैं। कंगना रणौत का इससे पहले राजनीतिक कार्यकाल नजर नही आता हैं लेकिन हिन्दी सिनेमा के अंदर एक सफल अभिनेत्री के तौर पर अपने कार्य का लोहा मनवाया हैं।
कंगना रणौत के नाम दर्जनों राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अवॉर्ड हैं। इतना ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार ने भी कंगना रणौत को “पद्मश्री”, भारत गणराज्य के अवार्ड से अलंकृत किया हैं। भाजपा ने कंगना रणौत की सादगी, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, कर्मठता को देखते हुए कांग्रेस के पुश्तैनी किले को ध्वस्त करने के लिए चुनावी रण में उतारा हैं।
कंगना रणौत व विक्रमादित्य सिंह मंडी लोकसभा ससंदीय सीट पर आमने सामने हैं। यहां पर एक पुश्तैनी गढ़ को बचाने में अपने ताकत झोंक रहा है तो दूसरा प्रत्याशी अपने तूणीर में रखे तीखे तीरों की हमले से पुश्तेनी गढ़ को ध्वस्त करने में कोई कमी नही छोड़ना चाहता हैं। मंडी ससंदीय सीट में Loksabha Chunav इस बार रोचक रहने वाला हैं
शिमला-मंडी लोकसभा सीट ने प्रदेश की गलियों में लाई राजनीतिक गर्माहट
हिमाचल प्रदेश के अंदर Loksabha Chunav के लिए को लेकर चार सीटें हैं और चारों सीटों पर घमासान करीबी माना जा रहा हैं। प्रदेश के अंदर भाजपा चारों सीटें जीतने में आश्वस्त नजर आ रही हैं तो वही कांग्रेस दो सीटों पर अपनी जीत का दावा ठोकती नजर आ रही हैं।
प्रदेश के अंदर शिमला संसदीय सीट पर भाजपा के ग्राफ का आकलन पहले से कम होना बताया जा रहा है। वहीं मंडी लोकसभा संसदीय में कांग्रेस का ग्राफ क्या पहले जैसा रह पाएगा, ऐसी अटकलों से प्रदेश में चुनावी रण का माहौल गरम हैं। अलबता ऊँट किस करवट बैठेगा यह तो चार जून के चुनावी नतीजे बता पाएंगे। लेकिन वर्तमान में पार्टियों के हौसले और आरोप प्रत्यारोप के माहौल की प्रदेश की गलियों में राजनीतिक गरमाहट चर्चा का विषय बनी हुई हैं।