लाहौल-स्पीति : नवंबर शुरू होते ही लाहौल-स्पीति के साथ कुल्लू-मनाली के ऊंचे पहाड़ों पर बर्फबारी का दौर शुरू हो गया है। इस कारण लाहौल-स्पीति में पारा जमाव बिंदु से नीचे पहुंच गया है। इस कारण मनाली-लेह मार्ग स्थित बारालाचा दर्रा के साथ सटी सूरजताल झील जम गई है। झील के चारों तरफ बर्फ की चादर बिछ गई है। पारा शून्य से नीचे आने से झील का पानी भी शीशे की भांति जम गया है। मनाली-लेह मार्ग पर पड़ने वाली इस झील का दीदार सैलानी हाईवे खुलने पर ही कर सकेंगे।
सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन ने सड़क को बंद कर दिया है। अमूमन नवंबर के अंत और दिसंबर में जमने वाली झीलों का पाली इस बार नवंबर के शुरू में ही जम गया है। बताया जा रहा है कि 16,000 फीट ऊंची चंद्रताल झील भी जमने लगी है। कुल्लू-मनाली के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कई झीलें और पानी के प्राकृतिक जल स्रोत भी जमना शुरू हो गए हैं। आने वाले दिनों में दीपक ताल, नीलकंठ, सरयोलसर, भुगू और दशौहर झील का पानी भी जम जाएगा।
मौसम में आए बदलाव और एक सप्ताह से पहाड़ों में रुक-रुक हो रही बर्फबारी होने से तापमान शून्य के नीचे लुढ़क गया है। 15 नवंबर से रोहतांग दर्रा भी सैलानियों के सैर सपाटे के लिए आधिकारिक रूप से बंद हो जाएगा। लाहौल की ऊंची चोटियों के चारों और सफेद बर्फ की चादर बिछ गई है। पिछले एक हफ्ते के भी मनाली-लेह मार्ग भी बर्फबारी से दूसरी बार अवरुद्ध हो गया है। शनिवार को बारालाचा पहुंचकर सैलानियों ने बर्फ के बीच खूब मस्ती की, लेकिन रविवार को सुबह से दारचा से आगे सभी तरह के वाहनों के बंद हो गया है।