शिमला : सीटू व हिमाचल किसान सभा के महापड़ाव के पहले दिन केंद्र और प्रदेश सरकार की किसान मजदूर विरोधी नितियों के खिलाफ सचिवालय के बाहर मजदूरों किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदेश भर से आए सैकड़ों किसानो ने मजदूर छोटा शिमला में जुटे और गलत नीतियों के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया। इस दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल तैनात रहा, हालांकि सड़क वनवे होने से जाम की स्थिति भी बनी।
सचिवालय के बाहर लगातार तीन दिन महापड़ाव के दौरान धरना प्रदर्शन होगा। आगामी 27 नवंबर तक चलने वाले महापड़ाव के पहले दिन सीटू राष्ट्रीय सचिव डॉ. कश्मीर ठाकुर, किसान सभा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह, विजेंद्र मेहरा, प्रेम गौतम, डॉ. कुलदीप तंवर, पूर्व विधायक राकेश सिंघा, जगत राम, सोहन ठाकुर, सुदेश ठाकुर व फालमा चौहान सहित अन्यों ने संबोधित किया।
उन्होने मोदी सरकार की मजदूर, किसान, कर्मचारी व जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि मजदूर किसान विरोधी मोदी सरकार को 2024 के लोकसभा चुनाव में सत्ता से बाहर किया जाएगा। इस दौरान मजदूरों का 26 हजार न्यूनतम वेतन, मजदूर विरोधी लेबर कोड रद्द करने, आंगनबाड़ी, आशा व मिड डे मील कर्मियों को नियमित करने, किसानों को एमएसपी देने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशें लागू करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ मनरेगा में 375 रुपये प्रति दिन मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस देने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण, आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने, नौकरी से निकाले गए कोविड कर्मियों को बहाल करने, महंगाई रोकने, सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण रोकने, किसानों की कर्जा मुक्ति की मांगें उठाईं।
इसके अलावा सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण रोकने, अग्निपथ योजना खत्म करने, महंगाई रोकने, डिपुओं में राशन प्रणाली को मजबूत करने, बिजली बोर्ड, नगर निगमों व अन्य बोर्डों व निगमों के कर्मचारियों को ओपीएस देने, बीआरओ का निजीकरण रोक कर मजदूरों को नियमित करने, तहबाजारी के लिए स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट लागू करने की भी मांग उठाई।