डेस्क: कुछ वर्षों पहले तक आतंकवादी कश्मीर का कलेंडर बनाते थे। स्कूल कब खुलेंगे, कब बंद होंगे। छोटे बच्चे भी रोज पत्थर लेकर निकलते थे लेकिन अब कश्मीर प्रशासन यहां का कलेंडर तय करतीथी। गरीब के घर खुशहाली आती है तो सबसे ज्यादा तकलीफ उन्हें होती है तो इसके जिम्मेदार होते हैं। लोगों को लूटने वालों की दुकानें बंद हो गई हैं। कश्मीर बदल गया है। लोग बेफिक्र हो गए हैं। महिलाएं खुलकर जी रही हैं। यह बात जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने कही। वह एक मीडिया हाउस के समागम के कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने टारगेट किलिंग पर कहा कि यह हताशा की निराशा है। एलजी ने कहा कि जहर फैलाने वालों ने पाठ्यक्रम भी ऐसा बनाया था कि बच्चों को कैसे बिगाड़ा जाए। अब हम ऐसा पाठ्यक्रम लाने जा रहे हैं कि बच्चा तय करेगा कि उसे क्या पढ़ना है। बच्चों पर पाठ्यक्रम थोपा नहीं जाएगा।
आम आदमी के कथित रहबर (लोगों के हमदर्द) और रहजन (काफिला लूटने वाला) लोगों को लूटते थे। जितना आम आदमी परेशान होता था उतना ही लोगों की तिजोरी भरती थी। कश्मीर को लूटने वाले रहजनों की दुकानें बंद हो गई हैं।
आतंक के गढ़ में बेफिक्र जी रहे लोग
कभी आतंक का गढ़ रहे पुलवामा, बारामूला और हंदवाड़ा के लोग बेफिक्र होकर जी रहे हैं। यहां युवाओं और बच्चों को बहला-फुसला कर हथियार पकड़ाए गए थे, वे आज एआई यूज करके टेक्निकल काम कर रहे हैं। कश्मीर में कई प्रॉजेक्ट्स पर काम चल रहे हैं। विकास की राह पर कश्मीर है।
‘अभी तो यह शुरुआत है’
मनोज सिन्हा ने उन दो डॉक्टरों का जिक्र भी किया जिन्होंने दो महिलाओं की मौत मामले में फर्जी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बनाई थी। आतंकियों के साथ मिलकर उन्होंने कश्मीर में आतंक फैलाने का काम किया था। हाल ही में डॉक्टर्स को सस्पेंड किया गया है। एलजी ने कहा कि यह शुरुआत है। अब ऐसे ही कश्मीर में आतंक फैलाने वालों औऱ साजिश रचने बालों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
जम्मू-कश्मीर के एलजी ने कहा कि उन्हें दुख होता है कि जिन्होंने कश्मीर में हिंसा की पटकथा लिखी, जिन्होंने आतंक फैलाया उन्हें सरकारी जहाज में बैठाकर घुमाया जाता था।