Kargil Vijay Diwas : 60 दिनों तक चला कारगिल युद्ध
26 जुलाई 1999 को हुए Kargil युद्ध में शहीद हुए सेना के जवानों और अधिकारियों के बलिदान को याद करते हुए उन्हें सम्मान देने के लिए कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने अपनी वीरता और बलिदान का परिचय दिया। इस युद्ध में 527 भारतीय सैनिक शहीद हुए, जबकि 1,300 से अधिक घायल हुए। पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान हुआ, जिसमें 2,700 से अधिक सैनिक मारे गए और कई घायल हुए।
भारत सरकार ने Kargil युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को सम्मानित किया। 527 शहीदों में से 21 को परमवीर चक्र, 31 को महावीर चक्र, और 63 को वीर चक्र से सम्मानित किया गया। कारगिल युद्ध 60 दिनों तक चला, जो 3 मई 1999 से 26 जुलाई 1999 तक चला। इस युद्ध की शुरुआत 3 मई 1999 को हुई थी, जब पाकिस्तानी सेना ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ की और भारतीय सेना को खदेड़ने की कोशिश की। भारतीय सेना ने इसका जवाब दिया और पाकिस्तानी सेना को खदेड़ने के लिए अभियान चलाया।
कारगिल युद्ध के दौरान, भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ लड़ीं, जिनमें से एक प्रमुख लड़ाई “टाइगर हिल” की लड़ाई थी। इस लड़ाई में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को हराया और टाइगर हिल पर कब्जा कर लिया। पाकिस्तानी सेना ने अपने सैनिकों को वापस बुला लिया और कारगिल क्षेत्र को खाली कर दिया। इस युद्ध में भारतीय सेना की जीत हुई और पाकिस्तानी सेना को हराया गया।
कारगिल युद्ध के दौरान, भारतीय सेना ने अपनी वीरता और बलिदान का परिचय दिया और पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया। इस युद्ध के परिणामस्वरूप, भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध और भी खराब हो गए, और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया।
Kargil युद्ध के कारण:
पाकिस्तानी सेना ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ की थी, जो कि भारत का हिस्सा है। भारतीय सेना ने इसका जवाब दिया और पाकिस्तानी सेना को खदेड़ने के लिए अभियान चलाया।
Kargil युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को सम्मानित किया गया
21 सैनिकों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। 31 सैनिकों को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। 63 सैनिकों को वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
कारगिल विजय की विजय गाथा:
कारगिल विजय की विजय गाथा एक प्रेरणादायक कहानी है जो भारतीय सेना की वीरता और बलिदान को दर्शाती है। यह युद्ध भारत की सैन्य शक्ति और वीरता का प्रमाण है और हमें अपने सैनिकों के बलिदान को याद रखने के लिए प्रेरित करता है। कारगिल युद्ध के कारणों में से एक पाकिस्तान की सरकार द्वारा समर्थित आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देना भी था।
कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को खदेड़ने के लिए कई अभियान चलाए, जिनमें से एक प्रमुख अभियान “ऑपरेशन विजय” था। कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की वीरता और बलिदान को देखते हुए, भारत सरकार ने 26 जुलाई को “कारगिल विजय दिवस” के रूप में घोषित किया है।
कारगिल युद्ध के दौरान, भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ लड़ीं, जिनमें से एक प्रमुख लड़ाई “टाइगर हिल” की लड़ाई थी। कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की जीत के बाद, पाकिस्तानी सेना ने अपने सैनिकों को वापस बुला लिया और कारगिल क्षेत्र को खाली कर दिया। कारगिल युद्ध के परिणामस्वरूप, भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध और भी खराब हो गए, और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया।
Kargil युद्ध में शहीद हुए वीर योद्धाओं की माता, पत्नी और बच्चों की कहानियाँ
कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीर योद्धाओं की माता, पत्नी और बच्चों की कहानियाँ बहुत ही दर्दनाक और प्रेरणादायक हैं। इन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खो दिया, लेकिन उन्होंने अपने बलिदान को गर्व से स्वीकार किया और देश की सेवा के लिए अपने प्रियजनों की शहादत को याद रखा।
कैप्टन विक्रम बत्रा
कैप्टन विक्रम बत्रा की, जो कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे। उनकी माता, कमल कौर बत्रा, ने अपने बेटे की शहादत को गर्व से स्वीकार किया और कहा, “मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ है, मुझे उसके बलिदान पर गर्व है।”
मेजर राहुल राठौर
मेजर राहुल राठौर की, जो कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे। उनकी पत्नी, प्रियंका राठौर, ने अपने पति की शहादत को स्वीकार किया और कहा, “मेरा पति देश के लिए शहीद हुआ है, मुझे उसके बलिदान पर गर्व है।”
इन परिवारों की कहानियाँ हमें याद दिलाती हैं कि देश की सेवा के लिए बलिदान देना कितना महत्वपूर्ण है। ये परिवार अपने प्रियजनों को खो चुके हैं, लेकिन उन्होंने अपने बलिदान को गर्व से स्वीकार किया है और देश की सेवा के लिए अपने प्रियजनों की शहादत को याद रखा है।