जोशीमठ: सरकार की ओर से वैज्ञानिक संस्थाओं की रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने के साथ ही जोशीमठ भूधंसाव के रहस्यों से पर्दा उठने लगा है। रिपोर्ट में मोरेन क्षेत्र (ग्लेशियर की ओर से लाई गई मिट्टी) में बसे जोशीमठ की जमीन के भीतर पानी के रिसाव के कारण चट्टानों के खिसकने की बात सामने आई है। जिसके कारण वहां भूधंसाव हो रहा है।
मोरेन के ऊपर बसा है जोशीमठ- रिपोर्ट
जोशीमठ हिमालयी इलाके में जिस ऊंचाई पर बसा है, उसे पैरा ग्लेशियल जोन कहा जाता है। इसका मतलब है कि इन जगहों पर कभी ग्लेशियर थे, लेकिन बाद में ग्लेशियर पिघल गए और उनका मलबा बाकी रह गया। इससे बना पहाड़ मोरेन कहलाता है। इसी मोरेन के ऊपर जोशीमठ बसा है।
आंतरिक क्षरण के कारण भू-धंसाव
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान की रिपोर्ट में इस बात का प्रमुखता से जिक्र किया गया है कि जोशीमठ की मिट्टी का ढांचा बोल्डर, बजरी और मिट्टी का एक जटिल मिश्रण है। यहां बोल्डर भी ग्लेशियर से लाई गई बजरी और मिट्टी से बने हैं, इनमें ज्वाइंट प्लेन हैं, जो इनके खिसकने का एक बड़ा कारण हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी मिट्टी में आंतरिक क्षरण के कारण संपूर्ण संरचना में अस्थिरता आ जाती है। इसके बाद पुन: समायोजन होता है, जिसके परिणामस्वरूप बोल्डर धंस रहे हैं।