स्वास्थ्य: पीलिया एक गंभीर और जानलेवा पुरानी बीमारी है। इसमें मरीज का लिवर खराब हो जाता है जिस वजह से वो बिलीरुबिन (Bilirubin) को फिल्टर नहीं कर पाता है। बिलीरुबिन एक पीले रंग का गंदा तत्व है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने के दौरान निकलता है।
जाहिर है जब यह फिल्टर नहीं हो पाता है, तो खून में बढ़ने लगता है। यही वजह है कि मरीज की त्वचा, आंखें और मसूड़े पीले हो जाते हैं।
पीलिया के लक्षण क्या हैं? पीलिया से पीड़ित लोगों के शरीर के ऊतकों का रंग पीला हो सकता है, जिसमें आंखें और त्वचा भी शामिल हैं। शरीर में बिलीरुबिन का लेवल बढ़ने या पीलिया के लक्षणों में डार्क पेशाब आना, मल का रंग बदलना, पेट दर्द, जोड़ों का दर्द, थकान और बुखार आदि शामिल हैं। बिलीरुबिन एक जहरीला पदार्थ है जो लिवर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है और इसकी मात्रा अधिक होने से जान जा सकती है। पीलिया में क्या खाना चाहिए? इस गंदे पदार्थ की मात्रा कम करने के लिए आपको इलाज के साथ अपनी डाइट में बदलाव करना चाहिए।
NCBI पर छपे एक अध्ययन (Ref) के अनुसार, ताजे फल और सब्जियों में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर होते हैं जो चयापचय के दौरान लिवर को डैमेज होने से बचाते हैं और पाचन को आसान बनाने में मदद कर सकते हैं। आपको क्रैनबेरी, ब्लूबेरी, अंगूर, पपीता, खरबूज, कद्दू, शकरकंद, रतालू, टमाटर, गाजर, चुकंदर, शलजम, ब्रोकोली, फूलगोभी और ब्रसेल्स स्प्राउट्स जैसी क्रुसिफेरस सब्जियां, अदरक, लहसुन, पालक और कोलार्ड ग्रीन्स आदि का सेवन बढ़ाना चाहिए।
कॉफी और हर्बल टी
कॉफी और हर्बल टी में एंटीऑक्सिडेंट के साथ-साथ कैफीन की अधिक मात्रा होती है, जो पाचन को उत्तेजित करने में मदद कर सकती है। कॉफी को कैंसर और फाइब्रोसिस सहित लिवर डैमेज के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।
साबुत अनाज
साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थ लिवर के लिए बढ़िया होते हैं। इनमें स्वस्थ वसा, फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट और मिनरल्स जैसे सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं। 2013 के एक अध्ययन (Ref) के अनुसार, जिन लोगों ने बीटा-ग्लूकन से भरपूर ओट्स खाया, उन्हें 12 हफ्ते में लिवर के कामकाज को बढ़ाने में मदद मिली।
नट्स
अधिकतर नट्स में विटामिन ई और फेनोलिक एसिड सहित एंटीऑक्सिडेंट की भरपूर मात्रा होती है। साबुत नट्स में फाइबर और हेल्दी फैट भी सही मात्रा में पाया जाता है। नियमित रूप से नट्स का सेवन करने से लिवर मजबूत बनता है।
पतला प्रोटीन
टोफू, फलियां और मछली जैसी चीजों में पतला प्रोटीन होता है, जो आसानी से पच जाता है। यह लाल मांस की तुलना में लिवर पर कम दबाव डालते हैं। सैल्मन और मैकेरल में ओमेगा -3 और जिंक होता है, जो फैटी एसिड, अल्कोहल, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन को मेटाबोलाइज़ करने में मदद करता है। इनके अलावा फाइबर से भरपूर चीजों का अधिक सेवन करें, चाय, कॉफी और पानी का अधिक सेवन करें, फलियों का सेवन बढ़ा दें और आप डॉक्टर की सलाह पर डाइटरी सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।