शिमला: जयराम ठाकुर ने आज शिमला के जुब्बल-कोटखाई और रोहड़ू के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और आपदा प्रभावितों से मिलकर उनका हाल चाल जाना। लोगों से बात चीत में यह बात सामने आई कि आपदा राहत में सरकार पूरी तरह फेल है। जिनके घर चले गये सरकार उन्हें नियमानुसार एक तिरपाल तक नहीं दे पाई, बाक़ी सहूलियतें तो बहुत दूर की बात है। सेब का सीजन चल रहा है, सेब की तोड़ान शुरू हो चुकी है लेकिन अभी तक आपदा से ख़राब हुई सड़कें सही नहीं हुई हैं, इसलिए सेब का मंडियो तक पहुँचना मुश्किल हो रहा है। सेब ख़रीद के लिए मुख्यमंत्री कुछ कह रहे हैं मंत्री कुछ कह रहे हैं, आपस में कोई तालमेल नहीं हैं। कई जगह से ऐसे भी वीडियो सामने आ रहे हैं कि सड़क सही होने के इंतज़ार में सेब सड़ गए और लोगों ने नाले में बहा दिया।
साल भर के खून पसीनें से की मेहनत और ऊंची लागत से पैदा हुए सेब को नालों में बहाना कितना पीड़ादायक हो सकता है, इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार में बैठे जो लोग बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, उनसे निवेदन है कि एक बार ज़मीन पर उतर कर देखें, ऐसे लोग भी हैं जिन्हें आपदा राहत के नाम पर एक पैसा भी नहीं मिला है। इस मौक़े पर उनके साथ शिमला से सांसद सुरेश कश्यप, भाजपा प्रवक्ता एवं विधायक बलबीर वर्मा, प्रवक्ता चेतन बरागटा, जिला अध्यक्ष अरुण फालटा, पूर्व जिला अध्यक्ष अजय श्याम, प्रत्याशी शशि बाला आदि उपस्थित रहे।
सरकार का काम विकास के काम करना होता है, आपदा में राहत देनी होती है। आपदा प्रभावित लोगों के सतह राजनीति करना नहीं। यह सरकार हर मुद्दे पर फेल हैं। सेब के सीजन में अगर सेब बेल्ट की सड़कें नहीं सही हो पास रही हैं तो इससे दुःखद कुछ भी नहीं हो सकता है। मीडिया के माध्यम से पता चला है कि कुछ इलाक़ों में लोग सरकार कि राह देखकर थक गये तो ख़ुद से पैसे इकट्ठा करके सड़कें सहीं करवाई। यह स्थिति दुखद हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बारिश और बारिश से नुक़सान कोई नई बात नहीं हैं। यह हमेशा होता है, सड़के बंद हो जाती हैं। हमारी सरकार में भी हज़ारों की संख्या में सड़कें बंद होती थी लेकिन हम उन्हें तीन दिन के भीतर बहाल करते थे। जिससे किसी को किसी प्रकार की समस्या न होने पाए। यहां महीना बीतने को है लेकिन ‘डिस्ट्रिक्ट मेजर रोड’की श्रेणी में आने वाली सड़कें तीन हफ़्ते से बंद पड़ी हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गड़करी के सामने हम यह मुद्दा उठायेंगे।
हमारी सरकार में 15 जुलाई तक सेब ख़रीद प्रक्रियासे जुड़ी सारी औपचारिकताएं पूरी कर लेते थे जिससे बाग़वानों को कोई समस्या न हो, मंडियों में न बिके सेब एचपीएमसी में ख़रीदा जा सके। इस मसले पर भी सरकार फेल है। इस बार सेब की फसल वैसे भी ख़राब हुई है। सरकार की नाकामियों की वजह से बागवानों को दोहरा नुक़सान उठाना पड़ रहा है।
सेब सीजन में युद्ध स्तर पर होनी चाहिए थी सड़कों की बहाली
शिमला ज़ुब्बल तक मैं आ गया इस दौरान रास्ता बंद होने की वजह से कई गाँवों तक गया लेकिन सिर्फ़ एक जगह सड़क सही करते हुए जेसीबी मशीन दिखी। बाक़ी जगह सड़कें सही होना तो दूर अभी काम ही शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि वह सड़कें कब तक शुरू हो पायेंगी। उन्होंने कहा कि सेब सीजन में तो इस क्षेत्र की सड़कों को सही करने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया जाना चाहिए था। सेब तोड़ने के बाद उसे जल्दी से जल्दी मंडी तक पहुंचाना होता है।
सड़क न होने की वजह से लोगों को नाले में बहाने पड़ रहे हैं सेब
सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो भी देखने कोई मिल रहे हैं कि लोग अपनी साल भर की कमाई को साधक की वजह से मार्केट में न पहुंचा पाने के कारण उन्हें नाले में फेंक रहे हैं। यह वास्तव में बहुत दुखद स्थिति है। सेब प्रदेश की आर्थिकी का आधार है। इसे बर्बाद नहीं होने देना चाहिए।
हम तीन दिन में बहाल करते थे बंद सड़कें
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पहले भी बारिश होती थी और बारिश में सड़कें ख़राब होती थी। बंद सड़कों को तीन दिन में बहाल कर लिया जाता था। जिससे स्थानीय लोगों को कोई समस्या न होने पाए। इसलिए सरकार में बैठे जिम्मेदार लोगों से मेरा आग्रह है कि आपदा प्रभावित लोगों की मदद करें।