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Jairam Thakur बोले संविधान के बजाय ख़ुद के बनाए प्रावधान को महत्व देती है कांग्रेस

By Sandhya Kashyap

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सीपीएस बने विधायकों की सदस्यता हो समाप्त : Jairam Thakur

शिमला:  नेता प्रतिपक्ष Jairam Thakur ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के डबल बेंच द्वारा प्रदेश में नियुक्त किए गए मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) की नियुक्ति को अवैध ठहराने और उनकी सभी सुविधाओं को तत्त्काल प्रभाव से छीनने के फैसले का स्वागत किया है।

Jairam Thakur बोले संविधान के बजाय ख़ुद के बनाए प्रावधान को महत्व देती है कांग्रेस
file photo

Jairam Thakur ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा यह फैसला असंवैधानिक और तानाशाहीपूर्ण तरीके से लिया गया था। भारतीय जनता पार्टी मांग करती है कि सीपीएस के पद पर नियुक्त किए गए सभी विधानसभा सदस्यों की सदस्यता भी रद्द की जाए। माननीय सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी सरकार द्वारा तानाशाही पूर्ण तरीके से यह नियुक्ति अपने विधायकों को खुश रखने के लिए की गई थी। जिसका खर्च प्रदेश के आम टैक्स पेयर्स को उठाना पड़ा।

सुक्खू सरकार ने यह निर्णय संविधान के दायरे के बाहर रहकर लिया था। जिसे आज माननीय न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया है। सरकार द्वारा किए गए इस फैसले से यह भी स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी की सरकार संविधान के बजाय अपने प्रावधानों से चलना पसंद करती है।

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Jairam Thakur ने कहा कि भाजपा पहले दिन से ही सीपीएस बनाने के फैसले के खिलाफ थी। क्योंकि यह असंवैधानिक था। माननीय न्यायालय के आदेशों की उल्लंघना थी। इसके विरुद्ध भाजपा ने आवाज उठाई, न्यायालय गए और सरकार के इस फैसले को चुनौती दी गई। 

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इस असंवैधानिक निर्णय को औचित्यपूर्ण ठहराने में सुक्खू सरकार ने हर स्तर पर राज्य के संसाधनों का प्रयोग किया। पहले हमारी पार्टी के नेताओं के द्वारा दाखिल की गई याचिकाओं के औचित्य पर सवाल उठाने में प्रदेश के करोड़ों रुपए वकीलों की फीस देने में खर्च की। जो ऊर्जा और संसाधन प्रदेश के विकास के लिए लगाए जाने थे उन्हें सरकार ने अपने तानाशाही फैसलों को जायज ठहराने में खर्च किए।

नेता प्रतिपक्ष Jairam Thakur ने कहा कि सरकार ने जान बूझकर सीपीएस की नियुक्ति की। जिससे प्रदेश के राजस्व पर करोड़ों रुपए का बोझ पड़ा। जब 2017 में हम सरकार में थे तो हमारे समझ भी यह मुद्दा आया था कि सीपीएस की नियुक्ति की जाए या नहीं? तो हमने इसे असंवैधानिक मानते हुए किसी भी प्रकार की ऐसी नियुक्ति नहीं की। जो पद माननीय न्यायालय द्वारा असंवैधानिक बताए जा चुके हों, उन पर नियुक्ति करके संविधान का खुला उल्लंघन कैसे किया जा सकता था।

सुक्खू सरकार सीपीएस की नियुक्तियों के अपने स्टैंड से पीछे हट सकती थी। लेकिन संवैधानिक व्यस्था को मानने में सुक्खू सरकार यकीन नहीं करती है। उन्होंने इस फैसले के लिए माननीय न्यायालय का फिर से आभार जताते हुए इस मुद्दे पर दृढ़ता से पक्ष रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ताओं को शुभकामनाएं जताते हुए साधुवाद दिया।