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गिरीपार में लंपी रोग से 17 पंचायतों के 407 पशु ग्रसित, अब तक 1700 पशुओं की हुई वैक्सीनेशन

By Sandhya Kashyap

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पांवटा साहिब (संजीव कपूर) : गिरिपार के पहाड़ी क्षेत्र में भी पशुओं के लंपी रोग ने दस्तक़ दी है। यहां गिरिपार की 17 पंचायतों के 407 पशु इस रोग से ग्रसित हैं। जिससे आंज भोज की 11 पंचायतों में लगगभ 117 पशु रोग ग्रसित हैं। डण्डा-पागर पंचायत में 41 अम्बोया में 21, टॉरुं डण्डा आंज में 12,राजपुर में 21,आगरों में 02, भैला में 04 इस रोग से ग्रसित है। इसके अलावा जो पंचायतैं इस रोग से अछूती है जिनमें  नघेता में 100 और शिवा में 150 डोज़ लग चुकी है बाकी की पंचायतों में भी टीकाकरण का कार्य तेजी से किया जा रहा है। गिरीपार की दून क्षेत्र की पंचायतों में कुल 290 पशु संक्रमित है जिसमें सबसे ज्यादा 116 पशु सालवाला पंचायत में पशु संक्रमित हैं। सूबे में सबसे पहला मामला  14 अगस्त को आया था तब से लेकर अभी तक रिकवरी रेट 60 प्रतिशत से ऊपर है। रिकवरी रेट का मापदंड 10 से 14 दिन के अंदर तय होता है। अभी तक पूरे गिरीपार में 1700 से ऊपर की वैक्सीन टीका लगाया जा चुका है।

गौरतलब है कि जिला सिरमौर में लगभग 4.5 लाख पशु हैं और जिसमें अभी तक 5710 पशुओं में लम्पी त्वचा रोग पाया गया है जिनमें से 2900 इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं । 2635 अभी इस रोग की चपेट में हैं। इस रोग से अभी तक 175 पशुओं की मृत्यु हुई है। जिला में अभी तक लगभग 23000 पशुओं को वैक्सीन लगाई जा चुकी है।                           

 इस रोग के संक्रमित पशुओं की अगर बात करें तो फिलहाल नैना टिककर-स्वांजी, टिक्कर, नारग, नौहरा, घलुत, कोटला पंजोला, दाड़ो, थलेरी बेर, काला अम्ब-नागल सुकेती, सैनवाला, मोगीनंद, देवनी, बिक्रमबाग, कटोला, त्रिलोकपुर, कौलांवालाभूड़, सुरला, कंडइवाला, अरंडवाला, तालों, जंगलाभूड़, पालियों, बरमपापडी, भाल्टा मछेर, पराडा, बन्कला-भेड़ों, मातर, कोलर, माजरा-जगतपुर, पुरुवाला, मिस्सरवाला और जोहड़ों में मामले पाए गए हैं

 उधर इस मामले में पशु चिकित्सा अधिकारी भगानी डॉ निकुंज भगानी ने बताया कि गिरी पार क्षेत्र में फिलहाल स्थिति काबू में है। लम्पी त्वचा रोग तेजी से बढ़ रहा है इसलिए लोगों से अपील की है कि फिलहाल दूसरे राज्यों से पशुओं की खरीद न करें और अपने पशुओं को चराने के लिए इधर-उधर न ले जाएं।स्वस्थ पशुओं को घरेलू काड़ा पिलाएंअपने पशुओं के ओबरे को पूरी तरह से साफ रखें वहाँ पर डाल दें।ताकि वहां मच्छर-मखियाँ न हों। इसके फैलने का कारण उन्होंने मखियाँ ओर मछरों को बताया।

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