शिमला : मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर सभी सीपीएस को मंत्रियों वाली सुविधाएं लेने और मंत्रियों की तरह कार्य करने पर रोक लगा दी है, परंतु वे सीपीएस बने रहेंगे। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई अब 11 मार्च को होगी।
प्रदेश महाधिवक्ता अनूप रत्न की ओर से यह बताया गया कि इन सीपीएस को कानूनन किसी भी तरह की मंत्रियों वाली सुख-सुविधा नहीं दी जा रही है। हिमाचल प्रदेश संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) अधिनियम 2006 के मुताबिक सीपीएस को मंत्री की तरह कार्य करने की पहले से ही मनाही है। असम और हिमाचल प्रदेश में सीपीएस के लिए बनाए नियमों में भिन्नता है। इस कारण सीपीएस को असम के नियमों के दृष्टिगत हटाए जाने का कोई औचित्य नहीं है।