डेस्क: हिंडन का जलस्तर कम होने से लोगों को थोड़ी राहत तो मिली है, लेकिन दूसरी मुसीबतें बढ़ गई हैं। कई लोगों के घर गिर गए हैं। कइयों में दरारें आ गई हैं और नींव कमजोर हो चुकी हैं। घर का पूरा सामान खराब हो चुका है। अभी काफी लोगों के घरों में पानी भरा है, वे शेल्टर होम या अपने रिश्तेदारों के यहां रहने को मजबूर हैं। काम धंधे छूट चुके हैं। ऐसे में लोगों की जिंदगीभर बेपटरी हो गई है। इसे अब पटरी पर लाने के लिए लोगों को कई साल लग जाएंगे।
गौरतलब है कि हिंडन नदी के किनारे 10 से अधिक गांवों के डूब क्षेत्र में रहे हजारों परिवार बाढ़ की चपेट में आए हुए हैं। पानी से जहां दो घर गिर गए हैं, वहीं हजारों घरों में दरारें आ गईं हैं। क्षेत्र से बाढ़ का पानी उतरने के बाद लोग लौट रहे हैं और कमजोर हो चुके घरों में रहने को मजबूर हो रहे हैं। सामने आया है कि कर्ज और गांव में जमीन बेचकर लोगों ने यहां रहने के लिए घर बनाए थे। घरों में पानी घुसने के बाद जो हाथ लगा वह लोगों ने सुरक्षित बाहर निकाल लिया था। अब घरों में रह गया सामान पानी भरने से खराब हो चुका है। जो घर सही सलामत बचे हैं, उनमें कीचड़ और मिट्टी भर गई है। पानी उतरने के बाद लोग जब अपने घरों की स्थिति देखने पहुंचे तो शायद ही कोई ऐसा घर हो जो सुरक्षित बचा हो।
रोगों का खतरा भी सता रहा
बाढ़ के खत्म होने के बाद लोगों को हैजा, डायरिया, मलेरिया, डेंगू, बुखार, हैपेटाइटिस ए और चिकनगुनिया जैसे रोगों का डर सता रहा है। हिंडन के किनारे घनी आबादी रहती है। यहां पर संक्रमण का खतरा ज्यादा है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लोगों की स्क्रीनिंग के लिए नौ हेल्थ वर्कर और एक मोबाइल टीम काम कर रही है। हालांकि क्षेत्र में अभी कोई बुखार या खांसी के अलावा अन्य रोगों का मरीज नहीं मिला है। हालांकि सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लोगों के इलाज के लिए अलर्ट मोड पर रखा गया है।
नदी से लोगों को दूर रखने के लिए बैरिकेडिंग
डीसीपी सेंट्रल नोएडा अनिल यादव ने बताया कि हिंडन का जलस्तर अब कम हो रहा है। यहां जाने पर खतरा अभी भी है। लोगों को हिंडन से दूर रखने के लिए पुलिसकर्मियों की गली और मोहल्ले वार ड्यूटी लगाई गई है। दिन और रात दोनों समय पर पुलिसकर्मी यहां तैनात रहते हैं। हिंडन के आसपास रहने वाले सभी लोगों को यहां नहीं जाने के लिए नोटिस दिया हुआ है। नदी की ओर जाने वाले रास्ते को बैरिकेडिंग कर कवर किया गया है। सेक्टर-63 थाना क्षेत्र में 8 बिसरख में 15 और सूरजपुर में 5 टीमों की ड्यूटी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लगाई गई है।
कमरों में भरा कीचड़ और रास्ते बने दलदल
बाढ़ के बाद घरों में कीचड़ तो जमा हो गया है, इसके साथ ही यहां पहुंचने वाली सड़कें भी बाढ़ के बाद दलदल में तब्दील हो गई हैं। ऐसे में लोगों का स्थिति का जायजा लेने के लिए घरों तक पहुंचना भी आसान नहीं रहा है। आपदा से घरों में बिजली नहीं है। मरम्मत कराने के बाद ही लोग अपने घरों को वापस लौट सकेंगे। लोगों का कहना है कि बाढ़ का पानी घरों से भले ही निकल गया हो लेकिन दीवारें पूरी तरह से कमजोर हो चुकीं हैं। इनके गिरने का डर बना रहेगा। गांव की जमीन को बेचने के बाद यहां पर एक प्लॉट लेकर घर बनाया, लेकिन बाढ़ में यह घर बर्बाद हो गया। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में लोगों के बीमार होने का खतरा और बना हुआ है। दूषित पानी पीने से लोगों को पेट की परेशानी से संबंधित शिकायतें हो सकतीं हैं।