गुरुवार को हिमाचल प्रदेश में फिर से पिछले साल की मानसून आपदा जैसी घटनाएं हुईं, जब बादल फटने, बाढ़, फ्लैश फ्लड और भूस्खलन ने बड़ी तबाही मचाई। इन घटनाओं में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग लापता हो गए। कई घर और हाइड्रो प्रोजेक्ट बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए, और चंडीगढ़-मनाली और मनाली-लेह हाईवे सहित कई प्रमुख सड़कों को बंद कर दिया गया।
कुल्लू, मंडी, और शिमला जिलों में बादल फटने की वजह से फ्लैश फ्लड आई और भारी नुकसान हुआ। कुल्लू जिले की पार्वती घाटी के ऊपरी मलाणा क्षेत्र में बादल फटने से मलाणा नदी में अचानक बाढ़ आ गई, जिससे मलाणा हाइड्रो प्रोजेक्ट के स्टेज-1 और स्टेज-2 को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ। इस बाढ़ में मलाणा हाइड्रो प्रोजेक्ट के स्टेज-1 में 35 लोग फंस गए थे।राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और स्थानीय पुलिस की टीम सुबह डैम साइट पर पहुंची और सभी फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। इनमें से ज्यादातर लोग प्रोजेक्ट के कर्मचारी थे।
इन घटनाओं ने हिमाचल प्रदेश में मानसून की खतरनाक ताकत और इसके कारण होने वाले नुकसान को फिर से दिखाया है, जिससे राज्य के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।